राजकुमार, नारनौल। प्रदेश के एकमात्र सरकारी आयुर्वेद कॉलेज में रेगुलर स्टॉफ यानि टीचरों की बेहद कमी है। इस कमी के चलते कॉलेज पर सीटों की कटिंग या फिर बंद होने की तलवार लटकी हुई है। जबसे यह कॉलेज खुला है, तभी से प्रदेश सरकार ने आयुर्वेद शिक्षकों की रेगुलर भर्ती नहीं की है। इन हालातों में इस कॉलेज के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराया हुआ है। यदि ऐसा हुआ तो इलाके की जनता एक महत्वपूर्ण संस्थान खो देगी।
2012 में भूपेंद्र हुड्डा ने की थी घोषणा
प्रदेश सरकार की ओर से गांव पटीकरा में आयुर्वेद अस्पताल एवं कॉलेज खोला हुआ है। यह प्रदेश का एकमात्र सरकारी आयुर्वेद कॉलेज है, जहां बीएएमएस डाक्टरों की पौध तैयार की जाती है। इस अस्पताल एवं कॉलेज भवन का निर्माण की घोषणा वर्ष 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में की गई थी। करीब 21 एकड़ में यह पटीकरा की पंचायती भूमि में बना हुआ है और ग्रामीणों ने सरकार को तब मात्र एक रुपया में एक एकड़ जमीन इसलिए दी थी कि इससे न केवल उनके गांव पटीकरा बल्कि आसपास के इलाके की जनता का भी भला हो सकेगा। सबसे पहले यहां आयुर्वेद अस्पताल को चालू करवाया गया, लेकिन कॉलेज फिर भी चालू नहीं हो पाया। इसके लिए यहां के अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक ने काफी प्रयास किए।
एक दशक तक करना पड़ा इंतजार
घोषणा के करीब एक दशक के लंबे इंतजार के बाद हरियाणा के पहले राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज पटीकरा में साल 2022-23 के लिए बीएएमएस में 100 सीटों की मंजूरी मिली थी, लेकिन अफसोसजनक स्थिति यह रही कि इस कॉलेज को सरकार ने चालू तो कर दिया, लेकिन इसके लिए अनिवार्य रेगुलर स्टॉफ यानि ट्रेंड टीचरों की रेगुलर फैकेल्टी भर्ती नहीं की और वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए कौशल निगम के जरिए मिले टीचरों के सहारे यह कॉलेज चलने लगा। शुरूआत में यहां 100 सीटों से हुई और नियमानुसार नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसन (एनसीआईएसएम) नई दिल्ली की टीम ने यहां का दौरा किया और बारीकी से निरीक्षण करने पर इसकी मोटी-मोटी कमियां उभरकर सामने आ गई। सबसे मोटी कमी तो प्रशिक्षित रेगुलर स्टॉफ की थी। नियमानुसार सरकारी रेगुलर टीचर नहीं होने के कारण एनसीआईएसएम की गाज यहां की सीटों पर गिरी और सीटें 100 से घटाकर सीधे 70 कर दी गई।
कई बार की गई स्टाफ की मांग
इसमें इस संस्थान की बजाए दोष निकालें तो वह सरकार का रहा, क्योंकि यहां के अधिकारियों ने सरकार यानि विभाग के साथ-साथ हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन से बार-बार आयुर्वेद शिक्षकों की नियमित भर्ती कर उन्हें रेगुलर टीचर ही देने की मांग की गई और न जाने कितने ही रिमांइडर भेजे गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और अंतत: सीटों पर गाज गिरी और वह घटाकर 100 में से महज 70 कर दी गई। वर्ष नया सत्र 2023-24 चल रहा है, लेकिन इस कॉलेज के चालू होने से अब तक स्थिति नहीं बदली है। अब भी रेगुलर आयुर्वेद टीचरों की तुलना में काम चलाऊ स्टॉफ से शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है। अब दस जमा दो की परीक्षाएं चल रही हैं तथा एनटीए की ओर से नीट के फार्म भी भरवाए जा चुके हैं। नीट का एग्जाम इस बार 4 मई को होना बताया जा रहा है। इसके रिजल्ट के बाद जो मेडिकल के बच्चे मेरिट में आएंगे, वह नीट मेरिट के आधार पर एमबीबीएस को तवज्जो देंगे और जो मेरिट में पिछड़ जाएंगे, वह बीएएमएस में एडमिशन लेने का प्रयास करेंगे। मगर अब भी पटीकरा आयुर्वेद कॉलेज की स्थिति बदली नहीं है।
95 प्रतिशत स्टाफ पैरामीटर पर नहीं उतर रहा खरा
जानकारी मुताबिक यहां का 95 प्रतिशत स्टॉफ अब भी एनसीआईएम के पैरा-मीटर के अनुसार इलीजीबल यानि योग्य नहीं है, क्योंकि उनका टीचर कोड ही नहीं है। यह कोड भी एनसीआईएसएम ही देती है और इसके बिना फैकेल्टी मान्य नहीं होती। इसके लिए टीचर के पास पांच से दस साल का अनुभव होना चाहिए, जो यहां के ज्यादा स्टाफ के पास कमी है। ऐसे में माना जा सकता है कि यहां बीएएमएस रूपी भावी चिकित्सकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है और सरकार ने भी भर्ती प्रक्रिया को लटका रखा है। जबकि आने वाले दिनों में एनसीआईएसएम दिल्ली की टीम फिर से दौरा करने वाली है।
यह कहते हैं अधिकारी
आयुर्वेद कॉलेज पटीकरा के डीएमएस डा. पंकज कौशिक ने बताया कि कॉलेज की तरफ से अनुभवी एवं प्रशिक्षित टीचर स्टॉफ देने के लिए विभाग एवं सरकार को अनेक बार पत्र लिखे गए हैं। अब भी रिमाइंडर डाले जा रहे हैं, लेकिन सरकार आयुर्वेद टीचरों की रेगुलर भर्ती ही नहीं कर रही। जिस कारण रेगुलर स्टॉफ मिलने में परेशानी जरूर हो रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कॉलेज की सीटों की कटौती या बंद करने की नौबत आ जाए। उन्होंने बताया कि यह बातें एकदम गलत हैं, क्योंकि रेगुलर स्टॉफ नहीं मिलने पर डेपुटेशन एवं हरियाणा कौशल रोजगार निगम के जरिए भर्ती होकर आए टीचर हमारे पास पर्याप्त मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि यह सभी टीचर अपनी पूर्ण योग्यता रखते हैं तथा सीटें घटाने एवं कॉलेज बंद होने जैसी कोई नौबत नहीं आने दी जाएगी।