Exclusive On Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर आंदोलन में शामिल रहे बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक और भाजपा के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवैया से हरिभूमि और INH न्यूज़ के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की Exclusive बातचीत। पवैया ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, प्राण प्रतिष्ठा और बजरंग दल से संबंधित कई अहम सवालों के जवाब बड़ी बेबाकी के साथ दिए। 

प्राण प्रतिष्ठा से पहले कैसी है भक्तों की दशा?
पवैया ने कहा- मैं और मेरे जैसे लाखों-लाखों राम भक्तों की मनोदशा तो आज भारत में ऐसी है जैसी श्री राम जी के वनवास जाने के बाद अयोध्या के राजभवन की दहलीज पर बैठीं मां कौशल्या की आंखों की हो गई थी। टकटकी लगाकर हमारी आंखें पथरा गई हैं। जिस प्रकार की भाव विह्वलता भगवान राम के वनवास लौटने से मां कौशल्या की थी, वही छटपटाहट हम सभी के मन में है। बाकी सांसारिक और राजनीतिक चीजें छोड़ दें, ऐसा लगता है कि जीवन की साध पूरी हो गई है।

उम्मीद नहीं थी इतनी जल्दी बनेगा मंदिर: पवैया
पवैया ने कहा कि मैं सत्य मन से स्वीकार करता हूं कि हम जैसे हजारों युवाओं ने अपने जीवन का स्वर्णिम समय प्रभु के काम के लिए दिया है। ये उम्मीद तो मुझे भी नहीं थी कि इतनी जल्दी आंखों के सामने इस जीवन में राम मंदिर का निर्माण होते हुए देखेंगे। संकल्प अटल था, लेकिन ध्येय तक पहुंच जाएंगे यह विश्वास नहीं हो पा रहा था। राजनीतिक परिस्थितियां हमारे विपरीत रहीं। अदालतों की तारीखों से हिन्दू समाज निराश हो चुका था। लगता नहीं था कि इतनी जल्दी इस पर फैसला हो जाएगा। पर, प्रभु की कृपा है कि अयोध्या से न्यौता आ गया है। मैं 19 जनवरी को अयोध्या जा रहा हूं। 

कब पड़ी थी राम आंदोलन की नींव?
पवैया ने कहा- मैं 1973 यानी कि जेपी मूवमेंट से लेकर 1982 तक ABVP के साथ रहा। लेकिन मुझे संघ का निर्देश मिला कि आपको विश्व हिंदू परिषद में काम करना है। मैं जब संघ में शामिल हुआ, तो राम आंदोलन की चर्चा नहीं थी। सरयू के तट पर लाखों रामभक्त और संत समुदाय ने सरयू नदी का जल अंजुरी में लेकर मंदिर बनवाने की शपथ ली थी। इसी दिन संतों ने बजरंग दल का नाम भी रखा। इसी दिन शपथ ली गई थी- सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे। 

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