Viral Infection: पिछले एक-दो महीने में देश के कुछ राज्यों खासकर केरल, ओड़ीशा और राजस्थान में मंप्स बीमारी से ग्रस्त कई केसेस देखने को मिले हैं। मंप्स को हिंदी में गलसुआ, गलफड़े या कंठमाला की बीमारी भी कहा जाता है। वायरस से होने वाली यह संक्रामक बीमारी है। वैसे तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर बच्चे और किशोर इसकी चपेट में आते हैं। हालांकि मंप्स गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन समय पर इलाज न हो पाए तो इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
कैसे होता है संक्रमण
मंप्स का संक्रमण, आरएनए वायरस और पैरामिक्सो वायरस की फैमिली के पैरावे वायरस या ऑर्थो रूबेला वायरस की वजह से होता है। यह एयर ड्रॉपलेट्स के माध्यम से दूसरे तक फैलता है यानी, यदि किसी व्यक्ति को मंप्स है और वह खांसता-छींकता है तो उसके ड्रॉपलेट्स के माध्यम से मंप्स वायरस हवा में फैल जाता है। जब दूसरा व्यक्ति वायरसयुक्त हवा को इन्हेल करता है, तो उसे भी इंफेक्शन हो सकता है। या फिर संक्रमित व्यक्ति के साथ बैठकर खाना खाने पर उसकी लार या स्लाइवा के माध्यम से भी दूसरा व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति 5 दिन तक संक्रमण फैला सकता है, इसलिए उन्हें आइसोलेशन में रहना बेहतर है। बच्चों को एमएमआर वैक्सीन न लगना इसका प्रमुख कारण है। यह वैक्सीन व्यक्ति को मीजल्स और रूबैला इंफेक्शन से भी बचाती है।
संक्रमण के लक्षण
आमतौर पर मंप्स वायरस का संक्रमण होने पर व्यक्ति को तेज बुखार आता है। कानों के पीछे और कान के नीचे मौजूद लार ग्रंथियों (पैरोटिड स्लाइवरी ग्लैंड्स) में सूजन आ जाती है। अगर यह जबड़ों के पैरोटिड ग्लैंड की सूजन हो तो कान के आगे गालों में भी सूजन आ जाती है। जबड़ों के नीचे सबम बुलर ग्लैंड में भी सूजन आ जाती है। पैरोटिड लार ग्रंथि में संक्रमण होने की वजह से लार बनना कम हो जाती है। व्यक्ति का मुंह सूखा-सूखा रहता है। सिर दर्द, मांसपेशियों में तेज दर्द होता है, मुंह खोलने, खाने-पीने या चबाने-निगलने में दिक्कत होती है। पानी न पी पाने की वजह से डिहाइड्रेशन हो सकता है। चिड़चिड़ापन आ जाता है।
बढ़ सकती है परेशानी
हालांकि मंप्स संक्रमण के ज्यादातर मरीज 5-7 दिन में ठीक हो जाते हैं और सूजन खत्म हो जाती है। लेकिन समय पर उपचार न हो पाने पर कई तरह की जटिलताएं भी हो सकती हैं, जैसे-कुछ मामलों में बहरापन या कम सुनाई देने लगता है। वायरस दिमाग तक चला जाता है और व्यक्ति को मेनिंजाइटिस बुखार हो जाता है। उसे वॉमिटिंग और असहनीय सिर दर्द होता है, जिसकी वजह से उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। वायरस कई बार पेंक्रियाज में पहुंच जाता है, जिससे उसमें सूजन आ जाती है। तेज पेट दर्द होता है। टेस्टिकल्स या यूट्रस में सूजन आ जाती है और दर्द रहता है। ध्यान न देने पर इंफर्टिलिटी की समस्या भी हो सकती है।
डायगनोसिस का तरीका
मंप्स वायरस इंफेक्शन की आशंका होने पर व्यक्ति का स्लाइवा टेस्ट किया जाता है। स्थिति गंभीर हो तो ब्लड टेस्ट किया जाता है, जिसमें यह चेक किया जाता है कि ब्लड मे एंटीजन या एंटीबॉडीज हैं या नहीं।
उपचार का तरीका
पीड़ित व्यक्ति की स्थिति के हिसाब से एसिंप्टोमैटिक उपचार किया जाता है। जैसे-बुखार आने पर पैरासिटामॉल, सूजन और दर्द के लिए आइबोफ्रिन दी जाती है। मुंह सूखने की स्थिति में मरीज को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने या लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी जाती है ताकि डिहाइड्रेशन न हो। सूजन दूर करने के लिए बर्फ को कपड़े में लपेट कर या हीट पैड से सिंकाई कर सकते हैं। नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे करना फायदेमंद होता है।
कैसे करें बचाव
कुछ बातों पर अमल करके मंप्स इंफेकशन से बचे रह सकते हैं-
-जरूरी है कि मंप्स संक्रमित व्यक्ति आइसोलेशन में रहे। जब तक सूजन कम नहीं हो जाती, संक्रमित व्यक्ति को घर पर ही रहना चाहिए। जाना जरूरी हो तो मास्क पहनने, या खांसते-छींकते समय टिशू पेपर का इस्तेमाल करने और उसे डस्टबिन में फेंकना चाहिए।
-हैंड हाइजीन का ध्यान रखें, खासकर खाना खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
-संक्रमित व्यक्ति से समुचित दूरी बनाकर रखें।
-12 से 15 महीने के बच्चे को एमएमआर (मंप्स, मीजल्स और रूबैला) की वैक्सीन लगवाएं। साथ ही 4-6 साल में बूस्टर डोज जरूर लगवाएं। परिवार में मंप्स संक्रमित व्यक्ति है, तो परिवार के दूसरे सदस्य भी एहतियातन वैक्सीन लगवाएं।
-डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए संक्रमित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने के लिए देते रहें।
प्रस्तुति:रजनी अरोड़ा