सचिन सिंह बैस, भोपाल: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की सहमति पर देश-विदेश के मेडिकल कॉलेजों से साढ़े चार वर्ष की एमबीबीएस डिग्री के बाद एक वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप में 6 दिन अथवा एक सप्ताह की इलेक्टिव इंटर्नशिप वैकल्पिक चिकित्सा के तहत प्रदेश व देशभर के आयुर्वेद-आयुष कॉलेजों से कर सकेंगे। भारतीय चिकित्सा पद्दति राष्ट्रीय आयोग ने भी आयुर्वेद सिस्टम ऑफ मेडिसिन इलेक्टिव इंटर्नशिप के अंतर्गत पाठ्यक्रम तय कर दिया है।
जिसमें फिजियोलॉजी, कायचिकित्सा, पंचकर्म, प्रसूति एवं स्त्रीरोग, कौमारभृत्य, शालाक्य व शल्य विभाग के अंतर्गत दोष, धातु, अग्नि, कोष्ठ, रसपंचक, प्रिंसिपल्स ऑफ भैषज्य कल्पना, आयुर्वेदीय पैथॉफिजियोलॉजी के साथ-साथ आयुर्वेद-आयुष कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों के आईपीडी, ओपीडी के मरीजों के तारतम्य में डिस्कशन व औषधि के रूप में विभिन्न प्रोसीजर्स का अध्ययन-अध्यापन करेंगे।
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एमबीबीएस की डिग्री के बाद कर सकेंगे इंटर्नशिप
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने बताया कि भारत के बाहर विदेशों जिसमें यूके, यूएसए, कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया,किर्गिस्तान, रसिया, यूक्रेन, नेपाल आदि देशों से एमबीबीएस करने के बाद भारत में आकर एफएमजीई परीक्षा पास करने के बाद एक वर्ष की इंटर्नशिप के दौरान वैकल्पिक चिकित्सा के तहत आयुर्वेद-आयुष कॉलेजों में एक सप्ताह की इलेक्टिव इंटर्नशिप जरूरी है। तभी साढ़े पांच वर्ष की एमबीबीएस डिग्री मान्य होकर रजिस्ट्रेशन होकर ये डॉक्टर बनकर प्रैक्टिश कर सकेंगे।
एक सप्ताह की इंटर्नशिप जरूरी
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने बताया कि आयुर्वेद कॉलेजों में 6 दिन अथवा एक सप्ताह की वैकल्पिक चिकित्सा की आयुष इलेक्टिव इंटर्नशिप होने से मेडिकल छात्रों का भारतीय चिकित्सा पैथी का ज्ञानर्जन लेना लाभकारी है। भारत सरकार की भी कोशिश है कि जिसको जिस रोग में जिस पैथी की जरूरत है वो व्यवस्था करायी जा सके।