Parliament Session Benefits: संसद सत्र के समय सांसदों को मिलती है खास सुविधा, जानें ये फायदे

Parliament Session Benefits: इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है। संसद सत्र के समय देशभर के सांसद सत्र का हिस्सा बनते हैं। देशभर के राज्यसभा व लोकसभा सांसद सत्र का हिस्सा बनते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि संसद सत्र के समय सांसद को खास सुविधाएंं व व्यवस्था दी जाती है। चलिए आपको बताते हैं कि मानसून सत्र के समय सांसदों को क्या-क्या सुविधा दी जाती है। मानसून सत्र के समय हिस्से लेने वाले सांसदों को नियमों के आधार पर सांसदों को भत्ते व अन्य चीजें मुहैया कराई जाती है।
सत्र के दौरान सांसदों को मिलती है खास व्यवस्था
द सैलरी, अलाउंस एंड पेंशन ऑफ मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के नियमों के अनुसार जब कभी भी संसद सत्र चलता है, तो इस सत्र में शामिल होने वाले सांसदों को कई तरह के भत्ते जारी किए जाते हैं। अगर बात करें पार्लियामेंट एक्ट के नियम की, तो सत्र के दौरान हिस्सा लेने का ट्रेवल चार्ज यानी ट्रेवल अलाउंस दिया जाता है और इसके साथ अगर कमेटी की भी कोई मीटिंग होती है, तो उसके लिए भी सांसद को गवर्नमेंट फंड से ट्रेवल का खर्च दिया जाता है।
इतना ही नहीं, बल्कि इसके अलावा भी अगर संसद सत्र चल रहा है और इसके दौरान सांसद के फैमिली यानी सांसद के पति या पत्नी (जो सांसद हो), सांसद के साथ यात्रा करते हैं, तो उनके ट्रेवल का खर्च भी सांसद को दिया जाता है, लेकिन इस भत्ते का नियम है कि ऐसी यात्रा साल में 8 बार से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
नियमानुसार अगर कोई सांसद सत्र के समय 15 दिन से कम समय तक सेशन में आकर कहीं की यात्रा करता है, तो उसे भत्ता दिया जाता है। किंतु 15 दिन से अधिक होने पर भत्ता देने का प्रावधान नहीं है।
यदि कोई सांसद लक्षद्वीप, अंडमान निकोबार जैसे क्षेत्र से बिलॉन्ग करता है इन लोगों को फ्री ट्रांसिट स्टीमर पास उपलब्ध कराया जाता है। जिससे वे रेल, एयर स्टीमर के माध्यम से यात्रा कर सकते हैं।
संसद सत्र के दौरान सांसद अगर 15 दिन से अधिक छुट्टी लेता है, तो उस सांसद को भत्ते आदि की सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती। इस दौरान उसे मात्र 8 जर्नी का पैसा भत्ते के रूप में दिया जाता है।
संसद सत्र में सांसदों को ट्रेवल के साथ वापस अपने संसदीय क्षेत्र तक जाने का खर्चा भी भत्ते में दिया जाता है।
संसद सत्र के समय सांसद को भत्ते के साथ सैलरी भी दी जाती है। सैलरी और भत्ते के अलावा पेंशन, स्टेशनरी, ऑफिस खर्चा, ट्रैवल, इंश्योरेंस आदि का पैसा अलग दिया जाता है।
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