Kalaripayattu: देखना चाहते हैं भारत का सदियों पुराना मार्शल आर्ट, केरल की इन जगहों की करें सैर

Kalaripayattu: देखना चाहते हैं भारत का सदियों पुराना मार्शल आर्ट, केरल की इन जगहों की करें सैर
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Kalaripayattu: दुनियाभर में मार्शल आर्ट को पसंद करने वालों की कमी नहीं है। अगर आप भी मार्शल आर्ट को पसंद करते हैं, तो केरल की इन जगहों की करें सैर।

Kalaripayattu: मार्शल आर्ट को आज के समय में लोगों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। इस कला को सीखने के लिए लोग घर से दूर निकल जाते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी कलारीपयट्टू का नाम सुना है। आपको बता दें कलारीपयट्टू एक प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट रूप है, जिसकी उत्पत्ति केरल में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इसका अभ्यास 3,000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है, जो इसे दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट में से एक बनाता है। "कलारीपयट्टू" मलयालम शब्द "कलारी" (व्यायाम का स्थान) और "पयट्टु" (लड़ाई) से लेकर बनाया गया है। यह एक व्यापक मार्शल आर्ट है, जो शारीरिक प्रशिक्षण को मानसिक अनुशासन के साथ जोड़ती है। अगर आप मार्शल आर्ट के दीवाने हैं, तो पढ़ें ये आर्टिकल...

कलारीपयट्टू केरल की संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो देखने में अकल्पनीय है। अगर आप भी कलारीपयट्टू प्रदर्शन को देखना चाहते हैं, तो केरल के इन कुछ बेहतरीन स्थानों जैसे तिरुवनंतपुरम, कोझिकोड, कासरगोड, अलाप्पुझा और कोच्चि को घूमना न भूलें।

मार्शल आर्ट का प्राचीन रूप

कलारीपयट्टू एक प्रकार की प्राचीन मार्शल आर्ट है, जिसकी उत्पत्ति भारत के केरल में हुई थी। भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट में से एक है और आज भी केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और श्रीलंका में कई लोग इसका अभ्यास करते हैं। यह हथियार प्रशिक्षण, निहत्थे युद्ध और आत्मरक्षा सहित कई तरह की तकनीकें सिखाता है। कलारीपयट्टू आज भी केरल और भारत के अन्य हिस्सों में प्रचलित है। यही नहीं बल्कि तेजी के साथ दुनिया के अन्य हिस्सों में लोकप्रिय हो रहा है।

कलारी में सिखाई जाती है कलारीपयट्टू

परंपरागत रूप से, कलारीपयट्टू प्रशिक्षण कलारी में होता है, जो एक विशेष प्रशिक्षण हॉल है। कलारी आमतौर पर जमीन से चार फीट नीचे बनाई जाती है और लगभग 42 फीट लंबी और 21 फीट चौड़ी होती है। कलारी के दक्षिण-पश्चिम कोने में पुथारा है, जो एक सात-स्तरीय सीढ़ी है, जो उन सात गुणों का प्रतीक है, जो एक कलारीपयट्टू अभ्यासी के पास होने चाहिए।

केरल के लिए क्यों है अहम

कलारीपयट्टू केरल की संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सदियों पुरानी मार्शल आर्ट है, जिसका अभ्यास आज भी केरल में कई लोग करते हैं। कलारीपयट्टू सिर्फ एक शारीरिक कला नहीं है, बल्कि एक मानसिक कला भी है, जो अनुशासन और दृष्टिकोण के साथ ही आत्म-नियंत्रण को भी परिपक्व करने में मदद करता है। कलारीपयट्टू केरल के लोगों के आय का स्रोत भी है, क्योंकि अब घूमने आए हुए लोगों के लिए इसे प्रदर्शन की तरह आयोजित कराया जाता है।

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