Diwali 2024: क्या आप जानते हैं पांच दिवसीय दीपावली पर्व का महत्व? जानें इसके पीछे की रोचक कहानियां
Diwali 2024: दिवाली भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरे 5 दिनों तक चलता है। ऐसे में हम यहां आपको इस पर्व के महत्व के बारें में बताने जा रहे हैं।;

Diwali 2024: दिवाली भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, जो प्रकाश, समृद्धि और पारिवारिक सद्भाव का प्रतीक है। रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाने वाला यह त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें कई महत्वपूर्ण अनुष्ठान और रीति-रिवाज होते हैं। इन पांच दिवसीय त्यौहार की शुरुआत धन और समृध्दि का प्रतीक धनतेरस से होती है।
इसके बाद छोटी दिवाली, दिवाली, गोबरधन और भाई-दूज पड़ता है। जिसमें प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है। लेकिन कई लोग इन त्योहारों के महत्व और मनाने के कारण के बारें में नहीं जानते हैं। यदि आप भी इन्हीं लोगों में एक है, तो यहां हम आपको इन सभी पर्व का महत्व और कहानियां बता रहे हैं। आइए जाने...
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धनतेरस
धनतेरस दिवाली का पहला दिन है, जो कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी से शुरू होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश के साथ-साथ आयुर्वेद के जन्मदाता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस मौके पर सोना-चांदी, वाहन, धनिया, बर्तन को खरीदना शुभ माता है। इसलिए इस दिन लोग जमकर खरीदारी करते है।
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस के नाम से भी जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की महिमा को दर्शाता है। कहा जाता है इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने असुर भौमासुर का वध किया था और लगभग 16 हजार महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इस जीत को जीवन में अंधकार और अशुद्धियों पर काबू पाने की याद के रूप में मनाया जाता है। इसलिए लोग इस दिन अपने घरों और दरवाजों पर दीपक जलाते है।
दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
इस पांच दिवसीय पर्व का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह मुख्य त्योहार अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। साथ ही यह धन और समृद्धि के लिए लक्ष्मी की पूजा करने का भी दिन है। इस दिन लोग पटाखे छोड़ते हैं, पकवान बनाते हैं और मिठाईयां बांटते हैं।
गोवर्धन पूजा
दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। यह वह दिन है जब भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ग्रामीणों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था। यह प्रकृति के प्रति सम्मान और धरती की खेती का प्रतीक है। इसलिए इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और भगवान को छप्पन भोग लगाते हैं।
भाई दूज
दिवाली के पांच दिनों का अंतिम दिन भाई दौज होता है। यह दिन भाई-बहन के बीच के बंधन को दर्शाता है। हनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह परिवार में प्यार और सुरक्षा को दर्शाता है।