Parenting Tips: बढ़ती उम्र के बहुत से बच्चों में एक बात कॉमन होती है। इन बच्चों का पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता है। बहुत से पैरेंट्स सिर्फ इसी बात से परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा कई कोशिशों के बाद भी स्टडी में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेता है। कई बार बच्चे पढ़ते तो हैं लेकिन उन्हें कुछ ठीक से समझ नहीं आता, क्योंकि इंट्रेस्ट न होने की वजह से वे पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं।
आप भी अपने बच्चे को लेकर अगर कुछ इसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं तो कुछ पैरेंटिंग टिप्स अपनाएं। इन टिप्स की मदद से आप अपने बच्चे का स्टडी में इंट्रेस्ट जगा सकते हैं।
5 तरीकों से पढ़ने लगेगा बच्चा
बच्चे को समझें: बच्चे को उसकी पसंद की गतिविधियों में शामिल होने दें। हो सकता है कि उसे पढ़ाई से ज्यादा खेल या कला में रुचि हो। बिना किसी निर्णय के बच्चे की बात सुनें और उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। बच्चे को उसकी उपलब्धियों के लिए सराहना करें और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
इसे भी पढ़ें: Father Child Bonding: बच्चे के साथ पिता की बढ़ती जा रही हैं दूरियां, 7 छोटे-छोटे काम करें, बन जाएंगे फेवरेट
पढ़ाई को मज़ेदार बनाएं: पढ़ाई को खेल या गतिविधि के रूप में बनाएं। जैसे, गणित के सवालों को पहेली के रूप में पूछ सकते हैं। केवल किताबों से पढ़ाने की बजाय वीडियो, गेम, और अन्य इंटरैक्टिव तरीकों का उपयोग करें। बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों में विभाजित करें और प्रत्येक लक्ष्य को पूरा करने पर बच्चे को पुरस्कृत करें।
अच्छा माहौल बनाएं: पढ़ाई के लिए एक शांत और व्यवस्थित जगह बनाएं। एक समय सारणी बनाएं और पढ़ाई के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें। घर में तनावपूर्ण माहौल न बनाएं। बच्चे को शांत और खुश रखें।
माता-पिता की भूमिका: बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने के लिए खुद पढ़ाई करते हुए दिखाएं। बच्चे की गलतियों पर उसे डांटने के बजाय, उसे प्रोत्साहित करें। हर बच्चा अलग होता है, इसलिए दूसरे बच्चों से तुलना करने से बचें।
इसे भी पढ़ें: Parenting Tips: उम्र बढ़ने के साथ गुस्सैल होता जा रहा है आपका बच्चा? 5 तरीकों से उसे सिखाएं शांत रहना
पेशेवर मदद लें: अगर समस्या गंभीर है, तो एक काउंसलर से संपर्क करें। बच्चे के शिक्षक से बात करें और बच्चे की समस्या के बारे में जानकारी साझा करें।
ये बात याद रखें कि हर बच्चा अलग होता है और अलग गति से सीखता है, इसीलिए धैर्य रखें। बच्चे पर बहुत अधिक दबाव न डालें।बच्चे की रुचियों और क्षमताओं के अनुसार उसे प्रेरित करें।