Parenting Tips: संत कबीर का एक प्रसिद्ध दोहा ‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।’ हमें गुरु की महिमा को बताता है। इसमें कोई दो मत नहीं कि गुरु की महिमा से ही हमें गोविंद का ज्ञान होता है। जो भी ज्ञान हमें मिलता है, गुरु के कारण ही मिलता है, उनका जीवन में बहुत महत्व है। हर आयु में गुरु के ज्ञान की आवश्यकता है, लेकिन बाल्यकाल में गुरु के ज्ञान की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। शिक्षा की नींव इसी उम्र में पड़ती है। इसलिए हमें अपने बच्चों को आरंभ से ही शिक्षकों का महत्व बताना चाहिए, उनका आदर-सम्मान करना सिखाना चाहिए।

गुरु के बिना भटक जाते हैं बच्चे
हर बच्चे को सही गुरु मिलना जरूरी है। गुरु के मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे भटक जाते हैं। गलत लोगों और आदतों का शिकार हो जाते हैं। इससे उनका जीवन अंधकार में खो जाता है। इस तरह गुरु हमारे जीवन की राह में प्रकाश स्तंभ की तरह होते हैं। जीवन में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गुरु के महत्व का ज्ञान हमारे बच्चों को निश्चित ही होना चाहिए। इसके लिए माता-पिता को अपने स्तर पर अवश्य प्रयास करना चाहिए।

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शिक्षक का सम्मान करना सिखाएं
शिक्षक का स्थान हमारे जीवन में सबसे ऊंचा है, यह बात अपने बच्चों को शुरू से बताएं। इसके लिए उन्हें पौराणिक और इतिहास की वर्णित प्रेरक कथाएं सुनाएं। उनके मन में अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान के भाव जगाएं। बच्चों को अपने गुरु को झुक कर हाथ जोड़कर आदर पूर्वक प्रणाम करने, चरण स्पर्श करने से बच्चों में गुरु के प्रति सम्मान की भावना आएगी। बच्चों को हमेशा ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।

आभार जताना सिखाएं
शिक्षक अपने छात्रों को हमेशा कोई ना कोई ज्ञान देते रहते हैं। इससे छात्र का परिष्कार होता है। बच्चों को बताएं कि शिक्षक बदले में अपने छात्र से कुछ नहीं लेना चाहते, लेकिन अपने विद्यार्थी से सिर्फ सम्मान की उम्मीद करते हैं। हम अपने बच्चों को शिक्षक का मन से सम्मान करना सिखाएं। उन्हें बताएं कि समय-समय पर वे अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें। प्राचीन काल में गुरुकुल परंपरा थी, गुरु-छात्र साथ रहते थे। छात्र गुरुओं के दैनिक कार्यों में सहायता कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते थे। लेकिन अब समय बदल चुका है, शिक्षक के प्रति आभार जताने के तरीके बदल चुके हैं। आप शिक्षक दिवस जैसे अवसरों पर बच्चों के हाथ उनके शिक्षकों को कोई सुंदर सा उपहार भिजवा सकती हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर जैसे अस्वस्थ या किसी संकट के समय आप अपने बच्चे के माध्यम से उनकी मदद कर सकती हैं। यह भी आदर प्रकट करने के समान है।

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शिक्षक के समर्पण भाव की करें चर्चा
शिक्षक छात्रों को पढ़ाने या कुछ सिखाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। कई शिक्षक तो अपना निजी जीवन भी अपने छात्रों पर न्योछावर कर उनका भविष्य संवारने में लगे रहते हैं। अपने बच्चों के साथ शिक्षकों के इस समर्पण भाव, कठिन परिश्रम की चर्चा करें। इससे बच्चों के मन में अपने शिक्षक के प्रति आदर भाव जागेंगे।
 
शिक्षकों का मजाक उड़ाने से रोकें
कई बार बच्चे नादानी में अपने शिक्षकों का मजाक उड़ाते हैं। बच्चे अपने सहपाठियों के साथ किसी खास अंदाज में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर टीका-टिप्पणी करते हैं। यदि शिक्षक में कोई शारीरिक कमी है तो बच्चे इस बात का मजाक उड़ाने लगते हैं, बच्चों को इस बात के लिए शुरुआत से ही सख्ती से रोकेंगी तो उसे अपनी गलती का एहसास होगा। 

इस तरह अपने बच्चों में सही अर्थों में अपने शिक्षक के प्रति आदर भाव जगाएं। शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने बच्चों को विशेष रूप से अपने शिक्षकों का सम्मान करने लिए प्रेरित करें।