Chandipura Virus: क्या है चांदीपुरा वायरस; जानें क्यों है इतना खतरनाक, ऐसे करें लक्षणों की पहचान
Chandipura Virus: चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से कई बच्चे बीमार हुए हैं। ऐसे में इससे बचाव के तरीके, प्रमुख लक्षण और जरूरी सावधानियों के बारे में आपको पता होना चाहिए।;

Chandipura Virus: पिछले कुछ समय से गुजरात में कई बच्चे चांदीपुरा वायरस से संक्रमित होकर गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी इसके संक्रमण के कुछ मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र में इसे लेकर एलर्ट जारी किया गया है। पिछले सप्ताह तक इसकी वजह से 66 बच्चों की डेथ भी हो चुकी है। यूं तो गुजरात में हर साल चांदीपुरा वायरस के मामले सामने आते हैं, लेकिन इस बार मामले तेजी से बढ़े हैं। 3-15 साल उम्र के बच्चे इसके सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि छोटे बच्चों में इस वायरस के प्रति इम्यूनिटी विकसित नहीं होती है, जिसकी वजह से बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं।
क्या है यह वायरस
चांदीपुरा एक आरएनए वायरस है, जो एडीज इजिप्ट मच्छर और मादा फ्लेबोटोमाइन सैंड फ्लाई मक्खी के काटने से फैलता है। इसे फैलाने वाले मच्छर और सैंड फ्लाई पानी या नमी वाले स्थानों में पनपते हैं। जिनके काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं। यह एक न्यूरोट्रॉफिक बीमारी है, जिसमें वायरस संक्रमण से इंसेफ्लाइटिस ब्रेन डिजीज हो जाती है। यानी दिमाग के एक्टिव टिशूज में इंफ्लेमेशन या सूजन हो जाती है। लैसेंट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की स्टडी के मुताबिक इलाज में जरा सी देरी और लापरवाही से वायरस से संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
क्या हैं लक्षण
आमतौर पर चांदीपुरा वायरस के लक्षण फ्लू जैसे- तेज बुखार और इंसेफ्लाइटिस दिमागी बुखार के समान होते हैं। ऐसे लक्षण किसी में दिखाई दें, तो तुरंत इलाज की जरूरत होती है। तेज बुखार के साथ उल्टी, दस्त, तेज सिरदर्द होना, मानसिक हालात और सोचने समझने की शक्ति में बदलाव, रोशनी से समस्या यानी फोटोफोबिया, गर्दन में अकड़न के साथ दौरे पड़ना भी इस वायरस संक्रमण के प्रमुख लक्षण हैं। कुछ मरीजों में सांस लेने में दिक्कत भी होती है।
क्या है खतरा
संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर यथाशीघ्र डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि क्योंकि चांदीपुरा वायरस का सेकेंडरी इंफेक्शन बेहद घातक होता है। इंसेफ्लाइटिस होने पर संक्रमण तेजी से बढ़ता है। इलाज नहीं मिलने से बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है। 24-48 घंटे में मौत भी हो सकती है।
उपचार
मरीज की स्थिति के हिसाब से एसिंप्टोमैटिक उपचार किया जाता है। मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। एक्सपर्ट की मानें तो फिलहाल चांदीपुरा वायरस का कोई सटीक इलाज या टीका मौजूद नहीं है। तुरंत इलाज ही इस घातक चांदीपुरा वायरस से जिंदगी बचाने का एकमात्र उपाय है।
रखें सावधानी
बच्चों को इसके संक्रमण से बचाने के लिए मच्छर और सैंड फ्लाई के काटने से बचाएं। बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाने के साथ मच्छरदानी लगाकर सुलाएं। इम्यूनिटी मजबूत बनाने के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखें। हाइजीन का भी खास ख्याल रखें। संक्रमण की आशंका होने पर तुरंत मेडिकल जांच कराएं। घर और आस-पास के क्षेत्र में कीटनाशक स्प्रे करवाएं।