Brain Yoga: ब्रेन योग से दिमाग सिर्फ स्थिर या संतुलित ही नहीं रहता बल्कि इसकी कार्यप्रणाली और तीव्र, बेहतर होती है। यह एक किस्म का मानसिक व्यायाम है। यह मस्तिष्क की तरंगों को खासतौर पर चैनलाइज करने की प्रक्रिया है और इस पर नियंत्रण करके हम अपने दिमाग को पारंपरिक तरीके से कहीं बेहतर रूप में विकसित कर सकते हैं। इस योग प्रक्रिया के जरिए हम अपने दिमाग के विभिन्न हिस्सों पर न सिर्फ मजबूत संबंध स्थापित कर सकते हैं बल्कि उन्हें खासतौर पर नियंत्रित कर सकते हैं। कुल मिलाकर इससे दिमाग का फोकस बढ़ता है, दिमागी ऊर्जा का जबरदस्त संचार होता है।
निखरती है पर्सनालिटी: ब्रेन योग के कुछ ऐसे फायदे हैं, जो व्यक्त भले न किए जा सकें, लेकिन ये ऐसे लोगों के समूचे व्यक्तित्व में दिखते हैं, जिन्हें ब्रेन या सुपर ब्रेन योग में महारत हासिल होती है। मसलन, ऐसे लोगों की स्मार्टनेस साफतौर पर नजर आती है। कुछ लोगों के कार्यपरिणामों में उनकी कुशलता या स्मार्टनेस दिखती है। लेकिन जो लोग ब्रेन या सुपर ब्रेन योग में माहिर होते हैं, उन लोगों के चेहरे में यह स्मार्टनेस साफ नजर आती है। पब्लिक डीलिंग में ऐसे लोग होते हैं, तो उन पर आम लोग कहीं ज्यादा भरोसा करते हैं, क्योंकि उनके समूचे व्यक्तित्व पर आत्मविश्वास झलक रहा होता है, जिससे लोगों को लगता है कि वह बिल्कुल सही व्यक्ति के सामने हैं और उनका काम हो ही जाएगा। इसलिए ऐसे व्यक्ति हमेशा पब्लिक डीलिंग में बेहद सफल रहते हैं।
मन-मस्तिष्क में बने संतुलन: ब्रेन योग हमारे मन और मस्तिष्क पर एक मनोवैज्ञानिक संतुलन साधने की तरकीब भी है। इससे हमारे सोचने की क्षमता तो बढ़ती ही है, हमारे सोचने की दिशा ज्यादा रचनात्मक भी बनती है। याद्दाश्त बढ़ना तो इस योग के शुरुआती और बहुत मामूली फायदों में से है। जब हम नियमित रूप से सुपर ब्रेन योग की प्रैक्टिस करते हैं और इसमें दक्षता हासिल कर लेते हैं तो इसका असर हमारे कामों और लिए गए निर्णयों में भी दिखता है। तब हमारे काम ज्यादा सफाई से किए गए होते हैं और हमारे लिए गए निर्णय कहीं ज्यादा स्पष्ट और प्रभावशाली होते हैं।
अगर इसे तकनीकी भाषा में कहें तो सुपर ब्रेन योग दरअसल, हमारे दिमाग के दो हिस्सों को एक साथ नियंत्रित करने का तरीका है। माना जाता है कि हमारे मस्तिष्क के दो भाग हैं, एक दायां भाग और एक बायां भाग। सामान्य लोगों में दिमाग का जब दायां हिस्सा काम कर रहा होता है तो बायां हिस्सा निष्क्रिय होता है और जब बायां हिस्सा काम कर रहा होता है तो आमतौर पर दायां हिस्सा काम नहीं कर रहा होता। लेकिन ब्रेन योग के जरिए हम अपने मस्तिष्क पर इस किस्म का नियंत्रण हासिल कर सकते हैं कि हमारे दिमाग के दोनों हिस्से एक ही समय पर एक ही दिशा में सक्रिय हों। इस तरह ऐसे लोगों की दिमागी क्षमता ज्यादा बढ़ जाती है, जो ब्रेन या सुपर ब्रेन योग करते हैं।
सरल तरीका-भरपूर प्रभावी:कई बार हमारे सामाजिक व्यवहार में कुछ ऐसी गतिविधियां शामिल होती हैं, जिनका मतलब हम नहीं जानते, लेकिन वे बहुत दूरगामी लक्ष्य को साध रही होती हैं। जैसे पुराने जमाने में जब किसी छात्र को शिक्षक द्वारा बार-बार पूछे गए सवाल का जवाब नहीं आता था, तब शिक्षक उन्हें दोनो कान पकड़ने या मुर्गा बनने की सजा देते थे। लेकिन अब कई योगाचार्य बता रहे हैं कि वास्तव में यह सजा एक सुपर ब्रेन योग था। एक साथ दोनो कान पकड़ने से हमारे दिमाग का ग्रे-मैटर बढ़ता है और इससे हमें निर्णय लेने में सहूलियत होती है, साथ ही इससे हमारे निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है।
इसके अलावा ऐसा करने से किसी भी विषय पर हमारा फोकस बढ़ता है और हमारे सोचने का तरीका कहीं ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होता है। यही वजह है कि आजकल योगाचार्य उन मां-बाप को जिनके बच्चे पढ़ने लिखने में काफी कमजोर होते हैं, उन्हें मारने पीटने की बजाय उनसे सुपर ब्रेन योग कराने के लिए कहते हैं, क्योंकि ऐसा करने से उनकी याद्दाश्त की क्षमता तो बढ़ती ही है, सोचने की भी क्षमता बढ़ जाती है। इन्हीं फायदों की वजह से यंगस्टर्स इसे काफी पसंद करने लगे हैं।
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डीजे नंदन