Gandhi Jayanti 2024: 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को भारत में 'गांधी जयंती' के रूप में और दुनियाभर में 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने वाले गांधी जी के योगदान को हर भारतीय आज भी गर्व से याद करता है। हालांकि, उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे अनसुने किस्से हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। आज उनकी जयंती के अवसर पर हम उनके जीवन के कुछ ऐसे अनसुनी बातों के बारे में जानेंगे, जो आप शायद अभी तक नहीं जानते होंगे।
1. महात्मा नहीं था असली नाम
गांधी जी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें "महात्मा" का उपनाम रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था, जिसका अर्थ है 'महान आत्मा'। गांधी जी ने अपने पूरे जीवन में खुद को कभी महात्मा नहीं कहा, और वे इस उपनाम से सहज भी नहीं थे।
2. सेना में भर्ती हुए थे गांधी जी
यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि गांधी जी एक बार सेना में भर्ती हुए थे। लेकिन यह सच है। महात्मा गांधी ने 1899 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए थे। हालांकि, वे सीधे युद्ध में हिस्सा लेने नहीं गए बल्कि सेना के लिए एक चिकित्सा इकाई में काम किया, जहां उन्होंने घायल सैनिकों की सेवा करते थे।
3. बचपन में गांधी जी बहुत शर्मीले थे
महात्मा गांधी बचपन में बेहद शर्मीले थे। स्कूल में वे इतने चुप रहते थे कि शिक्षक और साथी विद्यार्थी भी उनसे बहुत कम बातें करते थे। गांधी जी खुद कहते थे कि उन्हें मंच पर बोलने में हमेशा डर लगता था।
4. एक बार गांधी जी ने चोरी की थी
गांधी जी ने बचपन में एक बार चोरी भी की थी। बचपन में उन्होंने अपने बड़े भाई के पैसे चुराए थे। हालांकि, बाद में उन्हें अपने इस कृत्य पर गहरा पछतावा हुआ और उन्होंने अपने पिता से माफी मांगी थी।
5. विदेशी कपड़ों के शौकीन थे गांधी
लंदन में पढ़ाई के दौरान गांधी जी विदेशी पोशाकों का शौक रखते थे। वह हमेशा सूट-बूट पहनते थे और खुद को एक अंग्रेज की तरह प्रस्तुत करते थे। लेकिन जैसे-जैसे वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ते गए, उन्होंने अपने जीवन को सरल और सादगीपूर्ण बना लिया।
6. गांधी जी पत्रकारिता में भी दिया था योगदान
एक समय में महात्मा गांधी ने पत्रकार के रूप में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने 'इंडियन ओपिनियन', 'यंग इंडिया' और 'हरिजन' जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया और उन्हें प्रकाशित किया। गांधी जी अपने लेखों के माध्यम से जनमानस को जागरूक करने की कोशिश करते थे और स्वतंत्रता संग्राम के मुद्दों पर चर्चा करते थे।
7. नहीं मिल पाया नोबेल पुरस्कार
गांधी जी को जीवन में कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था, लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला। उनके निधन के बाद नोबेल कमेटी ने भी यह माना कि उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित न करना एक बड़ी चूक थी।
8. ब्रह्मचर्य का पालन
महात्मा गांधी ने 1906 में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि वे ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे। यह निर्णय उन्होंने 37 साल की उम्र में लिया और जीवनभर इसका पालन किया। उन्होंने इसे आत्मसंयम का एक रूप माना और अपनी नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए इसे जरूरी समझा।
9. शाकाहारी थे गांधी जी
गांधी जी बचपन से शाकाहारी थे, लेकिन उन्होंने लंदन में अपने पढ़ाई के दौरान शाकाहार का गहन अध्ययन किया और इसे जीवनभर अपनाया। वे शाकाहार के प्रसारक भी बने और इसपर 'द मोरल बेसिस ऑफ वेजिटेरियनिज़्म' नामक पुस्तक भी लिखी।
10. गांधी जी का आखिरी शब्द "हे राम"
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंतिम शब्द थे "हे राम"। जब 30 जनवरी, 1948 को उन्हें गोली मारी गई, तब उन्होंने यह शब्द कहे। उनकी धार्मिक आस्था और भगवान के प्रति समर्पण उनके जीवन के हर क्षण में झलकता था।