Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी का उत्सव भगवान गणेश को इक्कीस मोदक का भोग लगाए बिना पूरा नहीं होता। इसलिए लोग पूरे 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर भगवान गणेश के लिए कई प्रकार के मोदक का भोग लगाते हैं। मिठास से भरी यह मिठाई गणेश के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है, जिसके कारण उन्हें 'मोदकप्रिय' भी कहते हैं, जिसका अर्थ है मोदक पसंद करने वाला। लेकिन क्या आपको पता हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को 21 मोदक क्यों चढ़ाए जाते हैं और बप्पा तो यह मिठाई इतनी प्रिय क्यों है। अगर नहीं तो आइए मोदक के निर्माण और गणेश के लिए उनके महत्व के बारे में इन दो कथाओं द्वारा समझते हैं।

भगवान गणेश को कहा जाता है मोदकप्रिय? 
पहली लोककथा भगवान गणेश की नानी, रानी मेनावती से शुरू होती है। कहा जाता है कि रानी मेनावती अपने पोते की बढ़ती भूख को शांत करने के लिए अथक प्रयास करती थीं। लेकिन भगवान गणेश जैसे-जैसे बड़े होते गए उनकी भूख उतनी ही बढ़ती गई। रानी को एहसास हुआ कि गणपति जितनी जल्दी लड्डू खा सकते हैं, उतनी जल्दी उन्हें बनाना असंभव है। उन्होंने एक विकल्प के बारे में सोचा - मोदक। इसे बनाने में कम समय लगता है, जिससे वह भगवान गणेश को संतुष्ट कर सकती हैं, जो खुशी-खुशी उन्हें खा लेते हैं। इसलिए भगवान गणेश को मोजदक प्रिय कहते हैं। 

ये भी पढ़ेः-  हरतालिका तीज के दिन गाएं ये शिव भजन, भक्ति भावना से भर जाएगा रोम-रोम 

क्या है गणेश चतुर्थी पर 21 मोदक चढ़ाने की प्रथा?  
दूसरी लोककथा बताती है कि गणेश चतुर्थी के दौरान इक्कीस मोदक क्यों चढ़ाए जाते हैं। एक दिन देवी अनुसूया ने भगवान शिव, पार्वती और गणेश को भोजन के लिए बुलाया और कहा कि बाकी सभी को तभी भोजन दिया जाएगा जब शिशु गणेश संतुष्ट और तृप्त हो जाएंगे। हालांकि, गणेश बस और भोजन मांगते रहे! भोजन के अंत में उन्हें एक मिठाई दी गई - मोदक। मोदक को खाने के बाद भगवान गणेश ने संतुष्टि के संकेत के रूप में एक जोरदार डकार ली। दिलचस्प बात यह है कि जैसे ही गणेश ने डकार ली, भगवान शिव ने भी डकार ली वो भी पूरे इक्कीस बार।

ये भी पढ़ेः-  हरतालिका तीज के खास मौके पर सहेलियों को दें बधाई, भेजें ये 10 कोट्स, मैसेज

माता पार्वती, चकित और उत्सुक थीं कि उन्होंने क्या देखा था, उन्होंने देवी अनुसूया से इस चमत्कारिक मिठाई की रेसिपी पूछी। मोदक क्या है, पार्वती ने अनुरोध किया कि उनके पुत्र के सभी भक्त उन्हें ठीक इक्कीस मोदक अर्पित करें, जो भगवान शिव द्वारा की गई प्रत्येक डकार के लिए एक होगा।

चाहे लोग किसी भी कहानी पर विश्वास करें। लेकिन गणेश चतुर्थी के दौरान मोदक बनाना, चढ़ाना और खाना बहुत ज़रूरी और मज़ेदार होता है!