Independence Day 2024: भारत इस साल अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर भारतीय नागरिक अपने घरों, स्कूल, कॉलेज, दफ्तरों, सार्वजनिक और सरकारी भवनों आदि में हर साल इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाते हैं। आजादी के इस पर्व में बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी संगीत-नाटक, गीत और भाषण आदि की प्रस्तुति देते है। ऐसे में यदि आप भी 15 अगस्त के मौके पर भाषण दे रहे हैं, तो अपने भाषण की शुरूआत या अंत देशभक्ति नारों के साथ करें। यहां हम आपको देश महानायकों के द्वारा दिए गए नारों के बता रहे हैं, जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। तो आइए जानते हैं...
स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए देश भक्ति नारे-
1. "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है" - राम प्रसाद बिस्मिल
'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' ये ग़ज़ल जब कानों में पड़ती है तो ज़ेहन में राम प्रसाद बिस्मिल का चेहरा याद आता है। ये ग़ज़ल राम प्रसाद बिस्मिल की स्मृति का प्रतीक सा बन गई है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि इसके रचयिता रामप्रसाद बिस्मिल नहीं, बल्कि शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी थे। जिन्होंने 1921 में इस देशभक्ति कविता को लिखा था।
2. "मैं भारत का हूँ, भारत मेरा है" - लाला लाजपत राय
"मैं भारत का हूँ, भारत मेरा है" ये नारा सन 1917 में स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपतराय ने दिया था। इस नारे का उद्देश्य लोगों को देश के प्रति अपनी एकता और समर्पण की भावना को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करना था।
3. "देश की सेवा में जीवन अर्पित करना है" - लोकमान्य तिलक
देश की सेवा में जीवन अर्पित करना है" यह नारा लोकमान्य तिलक द्वारा दिया गया था। लोकमान्य तिलक एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने यह नारा 1900 के दशक के शुरुआत में दिया था। इस नारे का उद्देश्य लोगों को देश की सेवा के लिए प्रेरित करना और उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था।
4. "स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है" - लोकमान्य तिलक
"स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है" यह नारा बाल गंगाधर तिलक ने सन 1916 में दिया था। लोकमान्य तिलक ने यह नारा अपने अखबार केसरी में प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, "स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे।" इस नारे का उद्देश्य लोगों को स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने के लिए प्रेरित करना और उन्हें यह याद दिलाना था कि स्वतंत्रता उनका मूलभूत अधिकार है।
5. "चलो दिल्ली और अंग्रेजों को भारत से निकालो" - सुभाष चंद्र बोस
"चलो दिल्ली और अंग्रेजों को भारत से निकालो" यह नारा सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में दिया था। सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के नेता थे।
6. "करो या मरो" - महात्मा गांधी
"करो या मरो" नारा राष्ट्रपित महात्मा गांधी ने 1942 दिया था। जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से निकालना था।
7. "मेरा रंग दे बसंती चोला" - भगत सिंह
"मेरा रंग दे बसंती चोला" नारा भगत सिंह ने 1928 में दिया था। इस नारे का उपयोग भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लाहौर में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन में किया था। "मेरा रंग दे दो बसंती चोला", जिसका मतलब है कि भगत सिंह अपने खून से देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए तैयार थे। "बसंती चोला" का अर्थ है "बसंती रंग का चोला", जो कि एक पारंपरिक भारतीय पोशाक है।
8. "देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देना है" - खुदीराम बोस
"देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देना है" नारा खुदीराम बोस द्वारा सन् 1908 में दिया गया था, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे।
9. सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा- मोहम्मद इकबाल
"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" नारा मोहम्मद इकबाल द्वारा दिया गया था, जो एक महान कवि और दार्शनिक थे। उन्होंने यह नारा 1904 में अपनी कविता "तराना-ए-हिंदी" में लिखा था। इस कविता में हिंदुस्तान की सुंदरता और समृद्धि का वर्णन है।
10. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा- श्यामलाल गुप्त
"विजयी विश्व तिरंगा प्यारा" नारा श्याम लाल गुप्ता पार्षद द्वारा दिया गया था, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि थे। उन्होंने यह नारा 1924 में दिया था, जब उन्होंने अपनी कविता "विजयी विश्व तिरंगा प्यारा" में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की महिमा का वर्णन किया था।