Nutrition Myths & Facts: आजकल लोग अपनी हेल्थ को लेकर सजग हो रहे हैं। लोग अपने स्वास्थ को बेहतर करने और फिट रहने के लिए डाइट से लेकर दिनचर्या तक बदलाव लाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करते हैं। ऐसे में बॉडी में सही मात्रा में न्यूट्रीशन मिलने से स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। 

लेकिन आधी-अधूरी जानकारी के कारण आम लोगों में न्यूट्रीशन से जुड़े कई भ्रम फैले हुए हैं। न्यूट्रीशन को लेकर तमाम तथ्य फैले हुए हैं, लेकिन ये कितने सच हैं या झूठ इसकी जानकारी से अक्सर लोग वंचित रहते हैं। दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स शोध और अध्ययनों के माध्यम से कई भ्रमों को दूर करते हुए उनकी वास्तविकता बताते रहते हैं। आइए जानते हैं न्यूट्रीशन से जुड़े मिथ और फैक्ट्स के बारे में।

प्लांट प्रोटीन नहीं है संपूर्ण
मिथ
- अक्सर शाकाहारियों को भ्रम होता है कि प्लांट बेस्ड फूड से शरीर में जरूरी प्रोटीन की आपूर्ति नहीं हो पाती। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार, यह एक मिथ है कि कुछ प्लांट्स में अमीनो एसिड नहीं होते हैं।

फैक्ट- सच यह है कि सभी प्लांट बेस्ड फूड्स में 20 प्रकार के अमीनो एसिड होते हैं। बस इतना सा फर्क जरूर होता है कि एनिमल बेस्ड फूड की तरह इनमें अमीनो अम्लों का अनुपात आइडियल नहीं होता।

सोया फूड से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क
मिथ- 
सोया में प्लांट एस्ट्रोजेंस का हाई डोज होता है, जिसका नाम आइसोफ्लेवोंस है। जानवरों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि इसके कारण उनमें ब्रेस्ट टयूमर सेल स्टिम्युलेट होते हैं। हार्वर्डटी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में न्यूट्रीशन डिपार्टमेंट ने शोध में बताया है कि ‘मनुष्यों पर किए गए अध्ययन में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है।

फैक्ट- हालांकि अध्ययन में यह जरूर पाया गया है कि सोया बेस्ड फूड और ड्रिंक्स, ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क से सुरक्षा देते हैं और इन बीमारी के प्रति लाभकारी होते हैं। सोया फूड्स लाभकारी पोषक तत्वों के पावर हाउस होते हैं, हार्ट डिजीज का जोखिम भी कम करते हैं। इनमें उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते हैं।’

बच्चों को ना खिलाएं मूंगफली
बरसों से माता-पिता को बच्चों को कम उम्र में मूंगफली ना खिलाने की सलाह दी जाती रही है। लेकिन एलर्जी एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर बच्चों को कोई फूड एलर्जी, एक्जिमा आदि नहीं है तो उन्हें मूंगफली खिलाई जा सकती है। इसके लिए शुरुआत पीनट बटर, पीनट पफ आदि से की जा सकती है। छोटे बच्चों को पानी एब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क में पीनट बटर मिलाकर हफ्ते में एक-दो बार दे सकते हैं।

नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर फूड एलर्जी एंड अस्थमा रिसर्च की निदेशक रुचि गुप्ता कहती हैं, ‘बच्चे को एक्जिमा या कोई अन्य समस्या है तो चिकित्सक की सलाह लें। बच्चों को पहले साल में डायवर्स डाइट देकर फूड एलर्जी से बचाया जा सकता है।’

डेयरी मिल्क से अच्छा प्लांट मिल्क
अरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की सस्टेनेबल फूड सिस्टम की प्रोफेसर कैथरीन मेरीगन का कहना है कि, ‘गाय के दूध के एक कप में 8 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि आल्मंड मिल्क (बादाम दूध) में मात्र एक-दो ग्राम और ओट मिल्क में मात्र दो-तीन ग्राम ही प्रोटीन होता है। इतना ही नहीं रेडीमेड प्लांट मिल्क में कई चीज ऐसी मिलाई जाती हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होती हैं।’

आलू नुकसानदायक है
आलू को कई लोग सेहत के लिए बुरा बताते हैं। इसकी वजह है इसका हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स यानी इसमें शीघ्र पाचन होने वाले कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकते हैं। वैसे तो दुनिया की हर चीज किसी के लिए फायदेमंद और किसी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। लेकिन आलू के सेवन से हेल्थ को कई लाभ भी मिलते हैं। 

यह कहना है जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ और रिसर्चर डेफिन ऑल्टेमा जॉनसन का। उन्होंने बताया है कि आलू में विटामिन सी, पोटेशियम और फाइबर्स के साथ-साथ कई पोषक तत्व होते हैं। विशेष रूप से छिलका समेत इन्हें खाने से काफी लाभदायक होते हैं। बहरहाल इन्हें तलने की बजाय भून कर, बेक कर और उबालकर खाना अधिक लाभकारी होता है।

(प्रस्तुति- शिखर चंद जैन)