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Natarajasana​​​​​​​ Yoga Tips: कम गतिशील जीवनशैली की वजह से आज के दौर में अनेक लोग मिड एज तक पहुंचते शरीर में जकड़न और दर्द से परेशान हो जाते हैं। अगर आप इससे बचना चाहते हैं और अपने शरीर में लचीलापन बनाए रखना चाहते हैं तो नटराजासन का अभ्यास कर सकते हैं। इसकी विधि और लाभों के बारे में जानिए।

Natarajasana Yoga Tips: हर कोई चाहता है कि उसका शरीर चुस्ती-फुर्ती और लचीलेपन से भरपूर हो। लेकिन हमारी आजकल की जिस तरह की जीवनशैली है, उसके कारण 40 की उम्र होते-होते ही शरीर अकड़ने लगता है। इसलिए जो लोग चाहते हैं कि उनका शरीर ताउम्र चुस्त और लचीला बना रहे, उन्हें रोज नटराजासन का अभ्यास करना चाहिए। 

पौराणिक मान्यता
नटराजनासन का भगवान शिव से सीधा रिश्ता है। नटराज मूर्तियां, वास्तव में भगवान शिव की योगासन करते हुए की मूर्तियां हैं। नटराजासन के बारे में एक पौराणिक कथा है, कहते हैं कि एक बार एक ऋषि जंगल में अपनी पत्नियों के साथ हवन कर रहे थे कि वहां अचानक भगवान शिव और मां पार्वती प्रकट हो गए। भगवान शिव को देखते ही ऋषि पत्नियां हवन छोड़कर उन्हें प्रणाम करने चली गईं, इससे क्रोधित हुए ऋषि ने अपस्मार नामक एक बौने राक्षस को शिव और पार्वती पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया।

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उसने पार्वतीजी पर शस्त्र से प्रहार किया, जिससे वो अचेत हो गईं। पार्वती को अचेत देख भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने 14 बार अपना डमरू बजाया, जिससे वह बौना राक्षस अचेत हो गया और जमीन पर गिर पड़ा। अब भगवान शिव अपने दाएं पैर को उस बौने राक्षस के सिर पर रखकर नृत्य करने लगे। इसलिए हम नटराज की मूर्ति में जो भगवान शिव के चरणों के नीचे पड़े शख्स को देखते हैं, वह बौना राक्षस अपस्मार ही माना जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव के इसी रूप को देखकर भरत मुनि ने ढाई हजार ईसा पूर्व नाट्यशास्त्र और भरतनाट्यम की रचना की थी। इस तरह इस योगासन के साथ धार्मिक और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं।

कई तरह से लाभकारी
नटराजासन वास्तव में हमारे स्ट्रक्चर और मूवमेंट का खूबसूरत योग है। ये हमें शारीरिक रूप से ही नहीं दिमाग से भी मजबूत बनाता है। चूंकि इस आसन में शरीर को एक पैर पर बैलेंस बनाना होता है, इसलिए यह  हमारे शरीर को जबरदस्त संतुलन साधने की शक्ति देता है। इस आसन से हमें गहरी आंतरिक शांति का एहसास होता है।

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इसके अलावा भी नटराजासन करने के कई फायदे हैं...

  • इससे हमें स्ट्रेस से छुटकारा मिलता है और फोकस करने की हमारी क्षमता बढ़ती है।
  • यह आसन हमारे पोश्चर को सही बनाता है।
  • यह आसन नियमित रूप से करने से हमारा चेस्ट, एंकल्स, हिप्स और लेग्स मजबूत होते हैं।
  • इस आसन को रोज करने से शरीर में जबरदस्त लचीलापन आता है।
  • यह हमारे ग्रोइंग एब्डॉमिनल ऑर्गन और जांघों को अच्छा स्ट्रेच देता है।
  • यह आसन पाचन को बेहतर बनाता है। वेटलॉस में भी मदद करता है। 
  • इस आसन को करने से हममें जो जबरदस्त संतुलन की क्षमता बढ़ती है, उससे हम शारीरिक ही नहीं मानसिक संतुलन भी बहुत अच्छी तरीके से साध पाने में एक्सपर्ट हो जाते हैं।

आसन करने की विधि
नटराजासन करने के लिए सबसे पहले अपने योगा मैट पर ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब सांस भीतर लें और बायां पैर पीछे की ओर उठाएं। पैर का यह उठाना इस हद तक हो कि पैर की एड़ी आपके बाएं हिप्स को टच करने लगे और इस दौरान घुटना मुड़ा रहे। इस मुद्रा में पूरे शरीर का वजन दाएं पैर पर रहेगा। इसके बाद दाईं जांघ का दबाव हिप्स के जोड़ की तरफ डालें। अब दाएं घुटने को ऊपर की तरफ खींचते हुए जोर डालें कि मजबूत और सीधा बना रहे। इस दौरान धड़ को बिल्कुल सीधा रखें और बाएं हाथ से बाएं पैर को पकड़ने की कोशिश करें। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान धड़ को बिल्कुल सीधा रखें और सुनिश्चित करें कि निचली पीठ दबी हुई ना हो बल्कि नाभि की तरफ उठी हुई हो। इस आसन को शुरुआत में 15 से 30 सेकेंड तक करें और बाद में जब तक परेशानी ना हो, तब तक बढ़ाएं।

रखें इन बातों का ध्यान
नटराजासन करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। बेहतर है कि यह आसन सुबह के वक्त किया जाए, जब वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन अच्छी खासी मात्रा में होती है। लेकिन अगर शाम के वक्त यह आसन कर रहे हों तो तभी करें, जब कम से कम 5 से 6 घंटे पहले भोजन कर लिया हो।

नटराजासन बहुत लाभकारी आसन है। लेकिन अगर आपको ब्लड प्रेशर की जरा भी शिकायत हो तो इस आसन को भूलकर भी ना करें। शुरुआत में नटराजासन योगा ट्रेनर की देख-रेख में ही करें। जब करने में परफेक्ट हो जाएं, तब ही अकेले करने की कोशिश करें। इसे करते हुए जरा भी किसी भी किस्म की परेशानी महसूस हो तो योगा एक्सपर्ट और अपने घरेलू डॉक्टर से इस बारे में पहले बात जरूर कर लें।

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