Sawan Somvar Vishesh: अगर आप भी सावन के महीने में घर बैठे 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाह रहे हैं, तो हरिभूमि.कॉम आपके लिए हर सोमवार तीन ज्योतिर्लिंग का दर्शन कराएगा। आज हम आपको विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर और बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के महत्व और विशेषता के बारे में बता रहे हैं।

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Vishwanath jyotirlinga)
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के विश्वनाथ गली में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग में विराजमान मुख्य देवता को विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ब्रह्मांड का भगवान। यह भारत का सबसे अधिक देखे जाने वाला हिंदू मंदिरों में से एक है।

मान्यता
मान्यता है कि विश्वनाथ स्वयं प्रकट होने वाला पहला ज्योतिर्लिंग है। प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार यहां भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु के सामने ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस ज्योतिर्लिंग को लेकर किवंदती है कि इसकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए, भगवान विष्णु ने एक सुअर का रूप लेकर पता लगाया, जबकि ब्रह्मा, जी ने हंस का रूप धारण कर पता लगाने का प्रयास किया। हालांकि, दोनों ढूढ़ने में असफल रहे। लेकिन इसी बीच ब्रह्मा जी ने धोखे से शिखर की खोज करने का दावा किया। जबकि विष्णु जी ने विनम्रतापूर्वक खोजने में अपनी असमर्थता स्वीकार कर ली। ब्रह्मा के धोखे के कारण, शिव जी ने उनका पांचवां सिर काटकर उन्हें श्राप देकर दंडित किया। जबकि विष्णु जी को सत्यवादी होने के कारण, शिव के समान पूजनीय होने का वरदान दिया।

विशेषता
हिंदू धर्मग्रंथों में विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग को वाराणसी में पवित्र देवता के रूप में वर्णित किया गया है। इस मंदिर के प्रमुख देवता श्री विश्वनाथ हैं जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। यहां माना जाता है कि अगर कोई भक्त एक बार इस मंदिर के दर्शन कर पवित्र गंगा में स्‍नान कर ले, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar jyotirlinga)
त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है, जो नासिक शहर से 28 किमी की दूरी पर है। इस ज्योतिर्लिंग में हिंदू वंशावली के रजिस्टर रखे गए हैं। इसके सात ही पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम त्र्यंबक के पास है। इस मंदिर का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब द्वारा नष्ट किए जाने के बाद पेशवा बालाजी बाजी राव ने करवाया था।

मान्यता
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता है। इसके तीन मुख हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक पानी के अत्यधिक उपयोग के कारण लिंग का क्षरण होना शुरू हो गया है। मान्यता है कि यह क्षरण मानव समाज की क्षरणशील प्रकृति का प्रतीक है।

विशेषता
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की भव्य इमारत सिंधु-आर्य शैली के उत्कृष्ट नमूना के रूप में है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में प्रवेश करने पर शिवलिंग की केवल आर्घा दिखाई देती है, लिंग नहीं। हालांकि इसे गौर से देखने पर अर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। जिसे त्रिदेव- ब्रह्मा-विष्णु और महेश का अवतार रूप माना जाता है।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath jyotirlinga)
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड में संथाल परगना के देवघर में स्थित है। इस मंदिर को बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर परिसर में बाबा बैद्यनाथ के मंदिर के अलावा 21 अतिरिक्त मंदिर शामिल हैं। 

मान्यता
मान्यताओं के अनुसार रावण महादेव शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय क्षेत्र में तपस्या कर रहा था। इसी दौरान उसने शिव को अपने नौ सिर भेंट स्वरूप अर्पित किया। लेकिन जब ​​वह अपना दसवां सिर बलिदान करने वाला था, तो महादेव शिव उसके सामने प्रकट होकर उसकी भेंट से संतुष्ट हुए और पूछा क्या वरदान चाहिए? रावण ने इस दौरान "कामना लिंग" को लंका के द्वीप पर ले जाने की और शिव को कैलाश से लंका ले जाने की इच्छा जताई। 

विशेषता
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं। इतिहासकारों के अनुसार यहां पर मां सती का हृदय कटकर गिरा था, इसलिए इसे "ह्रदय पीठ" भी कहा जाता है। अगर कोई सच्चे मन से इस ज्योतिर्लिंग में माथा टेकता है, तो उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है।