Sawan Somvar Vishesh: अगर आप भी सावन के महीने में घर बैठे 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाह रहे हैं, तो हरिभूमि.कॉम आपके लिए हर सोमवार तीन ज्योतिर्लिंग का दर्शन कराएगा। पिछले सोमवार हम आपको सोमनाथ, मल्लिकार्जुन और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के महत्व और विशेषता के बारे में बताया गया था। आज हम आपको ओंकारेश्वर, केदारनाथ और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में बता रहे हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

चौथा ज्योतिर्लिंग- ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में स्थित है। इंदौर शहर से लगभग 80 किमी की दूरी पर खंडवा जिले की नर्मदा नदी के किनारे पर बना है। यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर दिशा में स्थित है। यहां पर आपको भगवान शिव नदी के दोनो तट पर दर्शन के लिए मिल जाएंगे। यहां पर महादेव को ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है।

मान्यता: मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के सारे तीर्थदर्शन करने के बाद ओंकारेश्वर में तीर्थों का जल नहीं चढ़ाता तो, उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार जमुनाजी में 15 दिन का स्नान तथा गंगाजी में 7 दिन का स्नान करने पर जितना फल मिलता है, उतना पुण्यफल नर्मदाजी के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।

विशेषता: यह देश का एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां, तीनों प्रहर आरती की जाती है। मान्यता है कि तीनों समय में देवों के देव महादेव उपस्थित रहते हैं। यह परंपरा दैविक काल से चली आ रही है। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक यहां रोजाना माता पार्वती संग शिवजी चौपड़ खेलने आते हैं। इसके बाद मंदिर के शयन कक्ष में विश्राम करते हैं। इस दौरान संध्या काल में देवों के देव महादेव तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद ओंकारेश्वर आते हैं।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

पांचवा ज्योतिर्लिंग- केदारनाथ
केदारनाथ धाम चारो धामों में से एक है। यह उत्तराखंड में स्थित है। मंदिर की ऊंचाई करीब 3581 वर्ग मीटर है। जो रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड से करीब 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर हिमालय क्षेत्र में आने की वजह से यहां काफी ठंडी पड़ती है, इसलिए सर्दी के मौसम में यह बंद रहता है।
 
मान्यता: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की मान्यता है कि यहां महाभारत के समय शिव जी ने पांडवों को बेल रूप में दर्शन दिया था। वहीं मदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं-9वीं सदी में करवाया था।

विशेषता: केदारनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खास विशेषता यह है कि, साल में केवल 6 माह ही कपाट खुलते हैं और 6 माह मंदिर बंद रहता है। इसलिए यहां पर कपाट खुलने के बाद काफी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-

छठवां ज्योतिर्लिंग- भीमाशंकर
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ स्थान है। जो महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग का पुराणों में भी वर्णन मिलता है।

मान्यता: हिंदू धर्म के पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस मंदिर में प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम का जाप करते हुए दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। इसके अलावा उस व्यक्ति के स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

विशेषता: भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का शिवलिंग काफी मोटा होने की वजह से मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनवाया गया था। इसके अलावा महान मराठा शासक शिवाजी ने भी मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान कराई थी। यहां पर बना एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता को बतलाता है।

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