Autism Symptoms: ऑटिज्म बच्चों को होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें वो दिमागी तौर पर बुरी तरह से हिला हुआ होता है। ये बीमारी दिमागी विकास से जुड़ी होती है और लाखों बच्चे इसके शिकार होते हैं। मेडिकल भाषा में ऑटिज्म को स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर भी कहा जाता है। हालांकि कई बार इस बीमारी से जुड़े लोग नौकरी करने के साथी ही परिवार, दोस्तों के साथ रिलेशनशिप मेंटेन करने में सक्षम होते हैं, लेकिन कई बार उन्हें इसके लिए दूसरों की मदद भी लेनी पड़ सकती है। 

ऑटिज्म के संकेत
ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण बच्चे में 12 से 18 महीने की उम्र से ही दिखते हैं जो कई बार सामान्य तो कई बार काफी गंभीर भी हो सकते हैं। मायो क्लीनिक के मुताबिक ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग में जन्मजात विकार पैदा हो जाते हैं। 

ऑटिज्म  के लक्षण

अपनी धुन में रहना - बहुत से बच्चे इंट्रोवर्ट होते हैं और कई बार अपनी धुन में खोए नजर आते हैं। ऑटिज्म की समस्या में भी बच्चा खोया खोया रह सकता है। अगर बच्चे को कोई उसके नाम से बुलाए, लेकिन वो उसे सुने ही नहीं, या ऐसा महसूस हो कि बच्चा इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है तो ये ऑटिज्म के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। 

सीखने में परेशानी - आम बच्चों की तुलना में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को सीखने में काफी परेशानी होती है। कई कोशिशों के बाद भी बच्चा चीजों को सीख नहीं पाता है। बच्चा अगर ऐसी स्थिति में बार-बार नजर आए तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। 

आंखें न मिलाना - बच्चा एक साल का हो गया है लेकिन वह दूसरों से आंखें नहीं मिलाता है या फिर आंखें मिलाने में कतराता है तो ये ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं। 

इंटेलिजेंस - कई बच्चे किसी चीज को काफी जल्दी सीख लेते हैं, वहीं कुछ बच्चों को इसमें कुछ ज्यादा वक्त लगता है। बच्चे को अगर किसी चीज की लर्निग में जरूरत से ज्यादा वक्त लगे या फिर उसकी इंटेलीजेंसी में सामान्य के मुकाबले ज्यादा कमी महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। ये ऑटिज्म की वजह से हो सकता है। 

बोलने में दिक्कत - अगर बच्चा ठीक ढंग से बोल नहीं पाता है या अटक-अटककर बोलता है और मुंह से सही ढंग से शब्द नहीं निकलते हैं तो ये ऑटिज्म की वजह से हो सकता है।