Zika virus: बरसात के मौसम में मच्छरजनित गंभीर बीमारियां फैलने का डर सबसे ज्यादा रहता है। इनमें से ही एक है-जीका वायरस संक्रमण। पिछले दिनों महाराष्ट्र में जीका वायरस के बढ़ते मामले इसका प्रमाण हैं। स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से मच्छर के प्रजनन को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की निगरानी रखने की अपील की है।
क्या है यह संक्रमण: जीका वायरस से संक्रमित एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है। साफ पानी में पनपने वाला यह मच्छर दिन के समय काटता है। यह फ्लैवीविरिडी फैमिली के वायरस फैलाता है] जो डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार होता है। लेकिन जीका वायरस, डेंगू और चिकनगुनिया की तुलना में अधिक संक्रामक है। जीका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में भी हो सकता है, इसलिए लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देना और समय पर इलाज कराना जरूरी है।
कैसे फैलता है यह वायरस: अमेरिका की सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) संस्था के अनुसार जीका वायरस सेक्सुअल ट्रांसमिशन, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, ऑर्गन ट्रांसप्लांट और गर्भवती मां से नवजात शिशु से भी फैल सकता है। इसके अलावा जीका वायरस एक-दूसरे के संपर्क में आने से भी फैलता है।
किसे है ज्यादा रिस्क: इस बीमारी से सबसे ज्यादा रिस्क गर्भवती महिलाओं को होता है, क्योंकि जीका वायरस अगर किसी गर्भवती मां के शरीर में प्रवेश कर जाए, तो मां की गर्भनाल से होता हुआ यह गर्भस्थ शिशु में भी पहुंच जाता है। इसके वायरस से महिला के भ्रूण में पल रहे बच्चे को माइक्रोसेफली होने का खतरा रहता है। यह एक जन्मजात दोष है। इससे बच्चे में शारीरिक-मानसिक विकार होने की संभावना रहती है। ऐसे बच्चे की बौद्धिक क्षमता या मानसिक विकास लेवल बहुत कम रह जाता है।
प्रमुख लक्षण: जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति 3-14 दिन तक इसकी चपेट में रहता है और इसके लक्षण आमतौर पर 2-7 दिन तक रहते हैं। अध्ययनों से साबित हुआ है कि जीका वायरस से संक्रमित केवल 20-25 प्रतिशत लोगों में ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षण डेंगू की तरह होते हैं और आमतौर पर हल्के होते हैं। इनमें बुखार, त्वचा पर चकत्ते या रैशेज होना, हाथ-पैर के जोड़ों में दर्द होना, शरीर में दर्द, कंजंक्टिवाइटिस या आंखों में सूजन, लालिमा और जलन, बेचैनी, थकावट प्रमुख हैं। इसके अलावा कुछ मरीजों को सिर दर्द, डायरिया, पेट के निचले हिस्से में दर्द भी हो सकता है।
कैसे होता है डायग्नोज: मरीज में जीका वायरस के कोई भी लक्षण होने पर जांच की जा सकती है। गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड में गर्भ में पल रहे बच्चे में जीका वायरस से होने वाली कोई कमी दिखाई देती है, तो गर्भवती महिला को जीका का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। यह जांच खून या पेशाब से की जाती है। मॉलिक्यूलर टेस्टिंग के जरिए शरीर में वायरस का पता लगाया जा सकता है। शरीर में एंटीबॉडी से भी वायरस का पता लगाया जा सकता है।
नहीं है स्पेशल ट्रीटमेंट: जीका वायरस के इलाज के लिए कोई विशेष मेडिसिन या वैक्सीन नहीं है। इसका उपचार ए-सिंप्टेमैटिक किया जाता है यानी मरीज की स्थिति के हिसाब से मेडिसिन दी जाती है। जीका से संक्रमित पेशेंट को भरपूर आराम करना, लिक्विड डाइट का अधिक से अधिक सेवन करना, दर्द और बुखार के लिए पैरासिटामोल दवाई लेनी चाहिए।
रोकथाम के उपाय
- जीका वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है-मच्छरों से बचाव। इससे बचाव के लिए कुछ कदम जरूर उठाने चाहिए।
- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- यथासंभव शरीर को ढंक कर रखें। फुल स्लीव्स शर्ट-पैंट पहनें।
- शरीर के खुले अंगों पर मॉस्किटो रिप्लेंट क्रीम या सरसों, नीम, लैवेंडर ऑयल लगाएं।
- घर में मॉस्कीटो क्वायल या एंटीमॉस्कीटो स्प्रे का प्रयोग करें।
- घर के दरवाजों-खिड़कियों पर जाली लगवाएं, ताकि मच्छर घर में ना आ सकें।
- मच्छर गंदगी और आस-पास जमा पानी में पनपते हैं। अपने घर के आस-पास पानी जमा ना होने दें और आवश्यक साफ-सफाई रखें। कूलर, गमलों आदि में पानी इकट्ठा ना होने दें।
- घर में तुलसी, पुदीना, अजवायन, मेहंदी, लेमनग्रास, गेंदा, चमेली जैसे औषधीय पौधे लगाएं। इनकी महक से मच्छर दूर भागते हैं।
यह जानकारी डॉ. मोहसिन वली सीनियर फिजीशियन (सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली) से बातचीत पर आधारित है।
प्रस्तुति: रजनी अरोड़ा