Mahatma Gandhi and Lal Bahadur Shastri Jayanti: देशभर में आज यानी 2 अक्टूबर 2024, को देश के दो महान नेताओं लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही हैं। यह दिन संपूर्ण देशवासियों को उनके विचारों और कार्यों की याद दिलाता है। इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय स्तर पर बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन आज भी कई लोगों को आज के दिन के महत्व और इतिहास के बारें में जानकारी नहीं है।
लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संदर्भ है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और देश के राजनीतिक विकास से जुड़ा हुआ है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे 2 अक्टूबर के दिन ही देश के दो महान नेताओं की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
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महात्मा गांधी की जयंती
1. गांधी जी का योगदान: महात्मा गांधी को देश का राष्ट्रपिता कहा जाता है। गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों ने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित किया।
2. अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस: 15 जून 2007 में, संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मान्यता दी, जिससे गांधी जी की शिक्षाओं का वैश्विक स्तर पर सम्मान बढ़ा।
लाल बहादुर शास्त्री की जयंती
1. शास्त्री जी का नेतृत्व: शास्त्री जी 1964 से 1966 तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत रहे। उनकी सादगी, ईमानदारी और 'जय जवान, जय किसान' जैसे नारों ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया।
2. जयंती का मनाना: शास्त्री जी की जयंती को मनाने का उद्देश्य उनके विचारों और कार्यों को याद करना और उनकी प्रेरणा को आगे बढ़ाना है। 1966 में शास्त्री जी के निधन के बाद, देशवासियों में उनके योगदान को पहचानने और याद करने के लिए 2 अक्टूबर को उनकी जयंती के तौर पर घोषित किया गया।
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संयुक्त मनाना
1. एक साथ मनाना: चूंकि दोनों नेता 2 अक्टूबर को जन्मे हैं, यह तारीख एक साथ मनाने का एक अच्छा अवसर बन गई। इससे न केवल दोनों नेताओं की विचारधारा का सम्मान होता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे उनके विचार भारतीय समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण रहे हैं। बता दें, शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को वाराणसी में हुआ था और बापू जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर में हुआ था, उनका मूल नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
2. राष्ट्रीय महत्व: भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का निर्णय लिया, जिससे यह दिन केवल व्यक्तिगत जयंती नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।
इस प्रकार, 2 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है, जहां दो महान नेताओं की जयंती को सम्मानित किया जाता है, और यह देशवासियों को उनके विचारों और कार्यों की याद दिलाता है।