World Kidney Day 2025: किडनी हमारे शरीर का बेहद अहम अंग है और इसकी सही देखभाल बहुत जरूरी है। खराब लाइफस्टाइल किडनी की बीमारियों को पैदा कर सकती है। किडनी के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी डे सेलिब्रेट किया जाता है। किडनी खराब होने पर शुरुआत में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें लेकर सतर्क रहना जरूरी है।
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का काम करती है। हालांकि, हमारी कुछ आदतें किडनी के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं और इसके कार्य को कमजोर बना सकती हैं।
किडनी की बीमारी के लक्षण
बार-बार पेशाब आना:
किडनी की बीमारी होने पर पेशाब की आवृत्ति में परिवर्तन हो सकता है। रात में अधिक पेशाब आना या दिन के दौरान सामान्य से ज्यादा बार पेशाब आना किडनी की समस्याओं का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, पेशाब में खून या झाग भी दिखाई दे सकता है।
स्वेलिंग (सूजन):
किडनी की कार्यप्रणाली में कमी आने पर शरीर में पानी जमा होने लगता है, जिससे पैरों, टखनों, हाथों या चेहरे में सूजन (स्वेलिंग) हो सकती है। यह किडनी की कमजोरी का एक आम लक्षण है, जो किडनी से पानी के सही तरीके से बाहर नहीं निकलने के कारण होता है।
थकान और कमजोरी:
किडनी की बीमारी में शरीर में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगते हैं, जो ऊर्जा स्तर को प्रभावित करते हैं। इसके कारण व्यक्ति को अत्यधिक थकान, कमजोरी और सुस्ती महसूस हो सकती है, क्योंकि शरीर सही से काम नहीं कर पा रहा होता है।
चमड़ी में बदलाव:
किडनी की समस्या होने पर त्वचा पर खुजली, रैशेज़ या ड्रायनेस हो सकती है। यह अपशिष्ट पदार्थों के शरीर में जमा होने के कारण होता है, जिससे त्वचा प्रभावित होती है। इसके अलावा, किडनी की बीमारी से रक्त में कैल्शियम और फास्फोरस का संतुलन भी बिगड़ सकता है, जिससे त्वचा पर चिड़चिड़ापन और खिंचाव हो सकता है।
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वजन में अचानक वृद्धि:
अगर किडनी सही से काम नहीं कर रही है, तो शरीर में अतिरिक्त पानी और सोडियम जमा होने लगता है, जिससे वजन में अचानक वृद्धि हो सकती है। यह विशेष रूप से पैरों, टखनों और पेट के आसपास अधिक दिखाई देती है। यह सूजन और किडनी की खराब कार्यप्रणाली का संकेत हो सकता है।
किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली आदतें
अत्यधिक नमक का सेवन:
नमक का अधिक सेवन किडनी पर भारी पड़ता है क्योंकि यह रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जिससे किडनी को अधिक दबाव का सामना करना पड़ता है। अधिक नमक से शरीर में पानी का संतुलन भी बिगड़ता है, जिससे किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। लंबे समय तक अधिक नमक खाने से किडनी की बीमारियां और किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
पानी की कमी:
पानी की कमी से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि यह किडनी को विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में कठिनाई पैदा करता है। पर्याप्त पानी पीने से शरीर से टॉक्सिन्स और अपशिष्ट पदार्थ आसानी से बाहर निकलते हैं। यदि पानी की कमी होती है, तो किडनी पर दबाव बढ़ता है, जिससे पत्थरी और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अत्यधिक प्रोटीन का सेवन:
बहुत ज्यादा प्रोटीन खाना किडनी पर दबाव डाल सकता है, खासकर यदि व्यक्ति को पहले से किडनी की समस्या हो। प्रोटीन का अधिक सेवन शरीर में यूरिया और अन्य अपशिष्ट पदार्थों के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे किडनी को उन्हें फिल्टर करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यह लंबे समय तक किडनी की कार्यक्षमता को कम कर सकता है।
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शराब और तंबाकू का सेवन:
शराब और तंबाकू का अत्यधिक सेवन किडनी के लिए हानिकारक है, क्योंकि ये पदार्थ रक्तदाब और शरीर में विषाक्त पदार्थों के स्तर को बढ़ाते हैं। शराब किडनी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है और तंबाकू के सेवन से रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होती है, जिससे किडनी की कार्यप्रणाली धीमी हो सकती है।
दवाओं का अनियंत्रित सेवन:
कई बार लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक और अन्य दवाइयां लेते हैं, जो किडनी के लिए हानिकारक हो सकती हैं। अधिक दवाओं के सेवन से किडनी पर दबाव बढ़ता है, और इससे किडनी की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है। विशेष रूप से, दर्दनिवारक दवाइयां (NSAIDs) लंबे समय तक किडनी के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ, डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)