Yoga Tips For Female: इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘महिला सशक्तिकरण के लिए योग’ है। यह विषय समग्र रूप से महिलाओं को स्वस्थ, निरोग, आनंदमय, शांतिपूर्ण और गतिशील बनाए रखने के लिए उन्हें प्रेरित करने के उद्देश्य से ही निश्चित की गई है।
कई बीमारियों से बचाए
महिलाओं की बहुत सी ऐसी बीमारियां होती हैं, जिन्हें योगासनों से दूर किया जा सकता है। योग विषेषज्ञों के अनुसार, गर्भाशय संबंधी सभी बीमारियों में सर्वांगासन और शीर्षासन का अभ्यास करना चाहिए। बार-बार गर्भपात हो जाना या बच्चा न होने की अवस्था में स्त्रियों को शीर्षासन से लाभ पहुंच सकता है। रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के लिए आगे झुकना, पीछे झुकना, दाएं-बाएं झुकना और विभिन्न आसनों से उसे लचीला बनाना और नाड़ी के प्रवाह को ठीक रखना आवश्यक है।
योग से पाचन शक्ति होगी मजबूत
योग रीढ़ की हड्डी से संबंधित सभी समस्याओं को 100 प्रतिशत सही करने में सक्षम है। इनमें सर्वाइकल, स्लिप डिस्क, नाड़ी तंत्र, सियाटिका और स्पोंडेलाइटिस आदि शामिल है। योगासन से पाचन शक्ति बढ़ती है। अग्निसार, उड्यान बंध और कई आसन और क्रियाएं पाचन संस्थान को मजबूत करती हैं।
योगासन से रक्त संचार बढ़ता है। रक्त के परिभ्रमण द्वारा सभी अवयवों को पौष्टिक पदार्थ प्राप्त होते हैं और उनके गंदे तत्व बाहर निकलते हैं। मस्तिष्क को भी योगासनों से स्वस्थ रखा जा सकता है। योगासन से शरीर के सबसे नाजुक अंग, मस्तिष्क का भी व्यायाम किया जा सकता है। शीर्षासन वैसे सभी अंगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। परंतु विशेषकर मस्तिष्क को स्वस्थ रखना और स्मरण शक्ति तेज करना शीर्षासन से ही संभव है। शीर्षासन का सहयोगी सर्वांगासन है। लाइफस्टाइल संबंधी किसी भी परेशानी से निजात पाने के लिए प्रतिदिन 30 से 45 मिनट योगाभ्यास करना जरूरी है।
वर्किंग महिलाएं जरूर करें योग
काम-काजी महिलाएं घर और ऑफिस के कामों के चलते लगातार व्यस्त रहती हैं। लेकिन फिर भी उन्हें योग के लिए कुछ समय जरूर निकालना चाहिए। इसका उनकी हेल्थ और लाइफ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसे योगासन हैं, जिन्हें वे अपनी दिनचर्या में शामिल कर अपने तन-मन को स्वस्थ रख सकती हैं। जैसे-भ्रामरी प्राणायाम मन को शांत करता है और बौद्धिक क्षमताओं को बढ़ाता है। इसका अभ्यास मानसिक तनाव या एंग्जाइटी से उबारता है। यह शरीर के समस्त अंगों की शक्ति को बढ़ाता है और मन की चंचलता को दूर करता है।
इस प्राणायाम का अभ्यास करने से त्वचा पर पड़ने वाली झांइयों और रिंकल से भी मुक्ति मिलती है। इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार आसानी से किया जा सकता है। इसी तरह अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी बहुत फायदेमंद है। इसमें दोनों नासिकाओं से बारी-बारी से पूरक और रेचक किया जाता है। इससे नाड़ियों की सफाई होती है और व्याधियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
‘ओउम्’ का करें उच्चारण
इसके अलावा ‘ओउम्’ के उच्चारण से और ध्यान केंद्रित करने से हमारे ह्नदय और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है और ह्नदय रोग नहीं होते हैं। इसके उच्चारण से पिटृयूअरी ग्रंथि की क्रियाशीलता बढ़ती है और शरीर में प्राणवायु का संचार होता है। किसी भी योगासन का अभ्यास करने से पहले अनुभवी योगाचार्य से उसका प्रशिक्षण प्राप्त कर लें।
(मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व योगाचार्य उदय जी और भोपाल के योगाचार्य पवन गुरु जी से बातचीत पर आधारित)