Heat Stroke: हीट स्ट्रोक या लू लगना एक गंभीर शारीरिक स्थिति है, जिसमें शरीर तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। इसके कारण शरीर का तापमान बढ़कर 104 डिग्री से भी अधिक पहुंच जाता है। शरीर के तापमान की यह स्थिति मस्तिष्क समेत शरीर के अन्य अंगों के लिए खतरनाक हो सकती है। कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो जाती है। 

प्रमुख लक्षण
इस स्थिति में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर से अत्यधिक पसीना निकल जाने से सोडियम की कमी हो जाती है। यदि समय रहते यह कमी पूरी न की जाए तो हाथ-पैर और पेट में दर्द, तेज पसीना, कमजोरी, प्यास, सिर दर्द, मितली, चक्कर आदि जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, चिड़चिड़ापन, त्वचा में खुश्की और लालिमा भी दिख सकती है।

नेचुरल थेरेपी
लू लगने पर रोगी को ऐसे स्थान पर लिटाना चाहिए जहां का वातावरण ठंडा हो। लेकिन वहां हवा के झोंके न आ रहे हों, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। रोगी को ठंडे जल से तर कर पंखा चला देना चाहिए और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद उसे ठंडे जल में भीगे तौलिए से भिगोते रहना चाहिए। बर्फ के जल में कपड़ा भिगोकर उसकी पट्टी रोगी के सिर, पेट और शरीर पर बदल-बदल कर लगाते रहना चाहिए। अधिक लू लगने पर कटि स्नान या पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी बार-बार लगाना भी उपयोगी सिद्ध होता है। 

पेड़ू की मिट्टी पट्टी
इसके लिए साफ बलुई मिट्टी जिसमें आधी मिट्टी और आधा बालू हो, का उपयोग करना चाहिए। अगर यह उपलब्ध न हो तो किसी साफ जगह पर जमीन से एक फिट नीचे की मिट्टी लेकर साफ करने के बाद उसमें पानी मिलाकर

लुगदी जैसा बना लें।
अब इस मिट्टी को पेड़ू के आकार से थोड़ा बड़ा महीन कपड़े पर फैलाकर लगभग आधा इंच मोटाई की पट्टी बना लें। इस पट्टी का मिट्टी की तरफ वाला भाग पेड़ू पर रखकर किसी ऊनी कपड़े से ढंक दें। हर आधे घंटे पर इस पट्टी को बदलते रहना चाहिए। एक बार उपयोग की गई मिट्टी का प्रयोग दोबारा नहीं करना चाहिए।

कटि स्नान
कटि स्नान के लिए किसी ऐसे टब की जरूरत होती है, जिसमें आराम कुर्सी की तरह आधा लेटा जा सके। टब में लगभग 12 से 14 इंच गइराई तक ठंडा पानी भरें, जिससे कि टब में बैठने पर पानी नाभि तक और नीचे आधी जंघाओं तक आ जाए। टब में अधलेटी अवस्था में बैठ जाएं और अपने दोनों पैर को टब के बाहर चौकी पर रख लें। यह ध्यान रहे कि पानी से पैर भीगने न पाएं। अगर पैर ठंडे हो रहे हों तो पैरों को गर्म पानी में डालकर ठंडा कटि स्नान लेना चाहिए।

तरल पदार्थ लें
लू लगने के बाद भोजन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। भोजन की जगह मट्ठा, दही की लस्सी, कच्चे आम का पना, सत्तू का शरबत और नीबू पानी थोड़ा-थोड़ा करके पिलाना चाहिए। एक गिलास पानी में दो चम्मच धनिया को आधे घंटे के लिए भिगो दें। फिर इसे मसलकर छान लें और इस पानी में थोड़ी चीनी मिलाकर देते रहें। इसके अलावा बेल के शरबत का सेवन जरूर करना चाहिए, क्योंकि यह गर्मी को दूर करता है और यह हमारे पाचन को भी स्वस्थ रखता है।

लू से बचाव
गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए ऐसा आहार लेना चाहिए, जो शरीर में पानी की आपूर्ति करता रहे। इस मौसम में तले-भुने गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए। मौसम के अनुसार ही फल, सब्जी खाने चाहिए। फलों में खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूज को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही गर्मी से बचने के लिए हल्के रंग के सूती कपड़ों का ही इस्तेमाल करें। जब मौसम अधिक गर्म हो तो बाहर न निकलें। अगर बाहर जाएं तो अपने साथ पानी की बोतल रखना ना भूलें और हमेशा पानी पीकर ही बाहर जाएं। यह भी ध्यान रखें कि बाहर रहने पर हर आधा एक घंटे पर पानी पीते रहें। इसके अलावा हमेशा अपने सिर को ढंक कर ही बाहर निकलें। धूप में शारीरिक श्रम वाला कोई काम नहीं करना चाहिए। गर्मी के मौसम में अधिक व्यायाम करने से भी बचना चाहिए। अल्कोहल का सेवन करने वाले, बच्चे, बुजुर्ग, गुर्दों के रोगी और मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति लू की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। इसलिए इन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
(नेचुरोपैथ मेडिकल ऑफिसर डॉ. कैलाश द्विवेदी से बातचीत पर आधारित)

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