Joint Pain: जब हाथ, पैर, कमर या पीठ में असहनीय दर्द होने लगता है तब यही लगता है कि इससे कैसे भी जल्दी से छुटकारा मिले। वैसे देखा जाए तो आजकल कमर, पीठ या हाथ, पैरों का दर्द अधिकांश लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन गया है। इससे राहत पाने के लिए अगर आप अपनी जीवनशैली में कुछ बातों का ध्यान रखें तो दर्द से भी बचाव कर सकते हैं और अपनी शारीरिक कमजोरी को भी दूर कर सकते हैं। इसके लिए हमारे भोजन में भारतीय किचेन में उपयोग किए जाने वाले मसालों का बहुत बड़ा योग्यदान है। अब तो दूसरे देशों के लोग भी इसकी विशेषता को मानने लगे हैं।
शारीरिक दर्द के कारण
वैसे तो शारीरिक दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार यदि हमारे शरीर के किसी भी अंग में दर्द होता है तो वहां मुख्यतः वात का प्रकोप जरूर होता है। वैसे तो शरीर में कैल्शियम, विटामिन बी 12, विटामिन डी की कमी, थाइरॉयड और कुछ दूसरी बीमारियों के कारण, खून की कमी के कारण या चोट लगने की वजह से भी किसी अंग में दर्द हो सकता है। इतना ही नहीं, दर्द होने के अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि ठीक से ना बैठना, अधिक देर तक खड़े होना, सही अवस्था में नहीं सोना भी इन कारणों में शमिल हैं। अब तो हालात यह हो गए हैं कि कमर दर्द की तकलीफ, किसी भी उम्र में हो सकती है। इसके लिए हमारा लाइफस्टाइल भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। इसको हम नकार नहीं सकते हैं। आजकल के जमाने में लोग ज्यादा आरामतलब जीवन जीना पसंद करते हैं, जैसे कि अधिक देर तक सोना, एक्सरसाइज या योगासन ना करना, रात में समय पर ना सोना, ज्यादा वातवर्धक और गरिष्ठ भोजन करना आदि। कई लोग बाहर का खाना अधिक खाते हैं। इससे भी दर्द संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
बचाव के उपाय
इस तरह के विभिन्न शारीरिक दर्दों से बचाव के लिए जरूरी है कि अपनी शारीरिक गतिविधियों का ध्यान रखें। एक ही जगह पर बहुत देर तक ना बैठें। अगर बहुत देर तक बैठना ही जरूरी है तो थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर कुछ मिनट जरूर टहल लें। इससे मसल्स को रिलैक्स होने में मदद मिलती है।
दर्द निवारण के उपाय
शारीरिक दर्द का निवारण करने के लिए आपके शरीर में जिन तत्वों की कमी है, उन कमियों को दूर करें। अगर आपके शरीर में विभिन्न प्रकार के विटामिंस और कैल्शियम की कमी है तो सबसे पहले उसे पूरा करें। इसके लिए पौष्टिक भोजन करें और डॉक्टर से पूछकर फूड सप्लीमेंट्स या विटामिन टैबलेट्स ले सकते हैं। इसके अलावा अगर कोई दूसरी बीमारी है तो उसका इलाज करवाएं।
पौष्टिक भोजन का सेवन करें
यह ध्यान रखें कि हमेशा हल्का और सुपाच्य भोजन ही करें। इसके साथ ही आवश्यकतानुसार दूध, घी और मक्खन का भी सेवन करें। जहां तक हो सके अपने भोजन में गरिष्ठ और वातवर्धक चीजों को शमिल ना करें। सदैव अपने भोजन में वात शामक द्रव्यों का ही उपयोग करें।
कई मसाले हैं कारगर
हमारे घर की रसोई में अनेक ऐसे मसाले होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनका उपयोग प्राचीन काल से भोजन में होता आ रहा है। इन मसालों से हम अपने वात को नियंत्रण में रख सकते हैं। जब हम अपने भोजन में इन
मसालों का उपयोग करते हैं तो इससे हमें खाने में रुचि जगती है और साथ ही साथ वात आदि दोषों को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इससे दर्द का निवारण होता है। शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन में नहीं रहना, धातुओं का क्षय और तंत्रों का सुचारू और प्राकृतिक रूप से कार्य ना करना, कमजोरी और व्याधि का कारण हो सकता है। यदि आप उचित मात्रा में घी, दूध के अलावा मसालों में मेथी, हींग, करी पत्ता, राई, हल्दी, जीरा, धनिया, सौंफ समेत अदरक पुदीना इत्यादि का सेवन करें तो विभिन्न दर्दों से मुक्त रहकर स्वस्थ रह सकते हैं। प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि अगर आप अपने घर में ही इन मसालों का नियमित और उचित मात्रा में अपने भोजन में प्रयोग करें तो अनेक रोगों से बच सकते हैं।
संध्या रानी
(आरोग्य विशेषज्ञ डॉ. संजय त्यागी से बातचीत पर आधारित)