Working Couple: पति-पत्नी दोनों हैं वर्किंग? जानें घर के खर्च किस प्रकार चलाने चाहिए

Working Couple: पति-पत्नी दोनों ही वर्किंग हों तो घर के खर्चों को लेकर दोनों के बीच एक स्पष्टता, पारदर्शिता बहुत जरूरी है। किसी एक पर आर्थिक भार नहीं होना चाहिए। नीतू और राजेश की शादी को दस साल हो चुके थे। नीतू एक शिक्षिका थी और अपनी पूरी कमाई घर की जरूरतों, उसको बनाने- संवारने में खर्च कर देती थी। राजेश एक निजी कंपनी में मैनेजर था, लेकिन अपनी तनख्वाह को हमेशा ‘भविष्य की बचत’ के नाम पर अलग रखता था। शुरुआत में नीतू को यह सामान्य लगा। उसे लगा कि परिवार के लिए वह जो कर रही है, वह अपना ही तो कर रही है, लेकिन धीरे-धीरे उसकी शिकायतें और तनाव बढ़ने लगा। राजेश उसे इस मामले में यह कहकर चुप करा देता, ‘ये तो तुम्हारी जिम्मेदारी है।’ लेकिन एक दिन, एक छोटी सी बहस ने बड़ा रूप ले लिया।
राजेश ने साफ कहा, ‘मैंने अपनी कमाई से जो बचत की है, वह सिर्फ मेरी है। तुम्हें अपने पैसे का हिसाब रखना चाहिए था।’ यह सुनकर नीतू को झटका लगा। नीतू को एहसास हुआ कि उसने जो भी किया, उसका कोई मूल्यांकन नहीं हुआ। राजेश के पास संपत्ति और बचत थी, लेकिन नीतू बिलकुल खाली हाथ थी। वह ठगी सी महसूस कर रही थी, अपने ही विश्वास और प्यार से। यह एक अकेले नीतू-राजेश भर की कहानी नहीं है। बहुत सारे काम-काजी दंपतियों की यह साझी कहानी है। इसके चलते तलाक तक हो जाते हैं।
साझा स्पष्टता जरूरी है:
जीवन स्तर और बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि पति-पत्नी दोनों ही नौकरी करें। लेकिन समस्याएं तब खड़ी होती हैं, जब दोनों में से कोई एक, चाहे वह पति हो या पत्नी, घर के साझे भविष्य के नाम पर अपनी कमाई को तो जमा कर रहा होता है और दूसरा अपनी सारी कमाई घर पर खर्च कर देता है। यह स्थिति भविष्य के लिए कई बार खतरनाक स्थितियां पैदा कर देती हैं, इसलिए जब पति-पत्नी दोनों ही काम-काजी हों तो घर के खर्चों को लेकर एक स्पष्टता जरूरी है। दांपत्य जीवन में वित्तीय निर्णय मिलकर लिए जाने चाहिए। पति-पत्नी के बीच नियमित रूप से पैसे की योजना और बचत पर चर्चा होनी चाहिए।
बनाए रखें आर्थिक स्वतंत्रता:
अपनी कमाई का एक हिस्सा हमेशा अपनी बचत के लिए अलग रखें। यह ना केवल आर्थिक सुरक्षा देता है, बल्कि आत्मनिर्भरता का भी एहसास कराता है।
कानूनी अधिकारों की जानकारी:
हर महिला को अपने वित्तीय और कानूनी अधिकार पता होने चाहिए। तलाक की स्थिति में महिलाओं को पति की संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार है, जो कानून द्वारा संरक्षित है।
साझा जिम्मेदारी का करें आग्रह:
अगर कोई काम-काजी दंपति है तो परिवार चलाने का भार अकेले ना सिर्फ पति पर हो और ना ही अकेली महिला पर। पति-पत्नी दोनों को ही यह जिम्मेदारी समान रूप से निभानी चाहिए।
पेशेवर मार्गदर्शन लें:
यदि आप पैसे के प्रबंधन में अनिश्चित हैं तो किसी वित्तीय सलाहकार की मदद लें। महिलाओं को यह समझना चाहिए कि आर्थिक आत्मनिर्भरता केवल उनकी सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि आत्मसम्मान और पहचान के लिए भी जरूरी है।
एडवाइस
नम्रता नदीम
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS