Logo

World Health Day 2025: गर्भावस्था के दौरान मां का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही गर्भस्थ शिशु के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बारे में, कोकून हॉस्पिटल, जयपुर में सीनियर कंसल्टेंट-ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, डॉ. मितुल गुप्ता सलाह देती हैं, ‘इस दौरान संतुलित आहार, पर्याप्त पानी पीना और हल्के व्यायाम जैसे वॉकिंग या योग करना बेहद फायदेमंद होते हैं, जिसे डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।

इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेना और कैफीन जैसी उत्तेजक चीजों से बचना भी जरूरी है। जहां तक मानसिक स्वास्थ्य की बात है, तो गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण तनाव और चिंता होना सामान्य है, लेकिन अगर यह ज्यादा बढ़ जाए तो यह मां और शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।

सकारात्मक माहौल में रहना, परिवार और दोस्तों से जुड़ाव बनाए रखना और जरूरत महसूस होने पर किसी मनोवैज्ञानिक या चिकित्सक से परामर्श लेना फायदेमंद होता है। मेडिटेशन और सांस लेने से जुड़े योगाभ्यास मानसिक शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है।’

बदलावों का रखें ध्यान:
गर्भावस्था के दौरान मां की सेहत में होने वाले बदलावों के बारे में अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल, करोल बाग, दिल्ली में कंसलटेंट-गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स, डॉ. रुचिका शर्मा बताती हैं, ‘गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं।

कई महिलाओं को इस दौरान मूड स्विंग्स, चिंता, अवसाद और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं को कम करने के लिए संतुलित आहार, जिसमें हरी सब्जियां, फल, प्रोटीन और आवश्यक विटामिन शामिल हों, अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 

गर्भावस्था के दौरान डी-हाइड्रेशन से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को आवश्यक पोषक तत्वों की दवाइयां भी देते हैं, जिनमें फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल होते हैं, इन्हे नियमित रूप से समय से लेना चाहिए।

ये पोषक तत्व शिशु के मस्तिष्क और हड्डियों के विकास में सहायक होते हैं और मां को एनीमिया जैसी समस्याओं से बचाते हैं। मां का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सीधे शिशु के न्यूरोलॉजिकल और भावनात्मक विकास पर प्रभाव डालता है, इसलिए इस दौरान सकारात्मक सोच और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता देना जरूरी है।’

नवजात बच्चे की करें केयर: 
नवजात बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के के बारे में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट-गायनेकोलॉजिस्ट, डॉ. मीनाक्षी बंसल कहती हैं,  ‘गर्भावस्था के दौरान मां के पोषण और भावनात्मक स्थिति का सीधा असर शिशु के मस्तिष्क, हृदय और संपूर्ण शारीरिक विकास पर पड़ता है। इसीलिए मां को संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और तनावमुक्त वातावरण में रहना चाहिए। जन्म के बाद, नवजात शिशु की देखभाल में उसकी साफ-सफाई, सही पोषण और टीकाकरण का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। 

मां का स्तनपान शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और उसके मानसिक और शारीरिक विकास में मदद करता है। इसके अलावा, नवजात को पर्याप्त नींद देना और डॉक्टर के निर्देशानुसार समय पर टीकाकरण कराना आवश्यक है। शिशु के शुरुआती वर्षों में उसके मानसिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए माता-पिता को उसके साथ अधिक समय बिताना चाहिए, जिससे उसका बेहतर मानसिक विकास हो और उसका अच्छा भविष्य सुनिश्चित हो सके।’

अंत में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि गर्भावस्था के दौरान मां का मानसिक स्वास्थ्य, शिशु के संपूर्ण विकास और भविष्य की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, इस समय शारीरिक और मानसिक सेहत का ध्यान रखना, आवश्यक सावधानियां बरतना और विशेषज्ञों की सलाह लेना मां, शिशु के लिए ही नहीं संपूर्ण समाज के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक है।

प्रस्तुति: सेहत फीचर्स