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World Meditation Day: ध्यान एक बहुत सरल-सहज प्रक्रिया है, लेकिन हमारे तन को स्वस्थ और मन को ऊर्जावान बनाए रखने में यह बहुत प्रभावी है। इससे जहां कई शारीरिक रोगों के प्रभाव को रोकने में मदद मिलती है, वहीं तनाव और अवसाद से मुक्ति दिलाने में भी यह बहुत कारगर है। यह हमारे संपूर्ण जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है। इसके अभ्यास से होने वाले फायदों के बारे में यहां विस्तार से बता रहे हैं।

World Meditation Day: आदिकाल से हमारे ऋषि मुनि, आयुर्वेदाचार्य और योगी अपने चित्त को स्थिर, शांत रखने और एकाग्रता के लिए ध्यान की प्रक्रिया का नियमित अभ्यास करते रहे हैं। इसे आध्यात्मिक उद्देश्यों से लेकर शरीर के आंतरिक अंगों की कार्य प्रणाली को सक्रिय-सुचारु रखने के लिए और मस्तिष्क को नियंत्रित रखने के लिए भी अपनाया जाता रहा है। ध्यान एक सर्वस्वीकार्य प्रक्रिया है, जिसे दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों और विभिन्न धर्मावलंबियों ने अपनाया है। हजारों वर्षों से इसका सफल प्रयोग किया जा रहा है। इसके अनेक फायदे हैं, जिसे महसूस करने के लिए आपको स्वयं ध्यान का अभ्यास करना होगा। 

तनाव से मिले मुक्ति
योगी, मुनि और प्राचीन चिकित्साशास्त्री ही नहीं आधुनिक युग के मनोवैज्ञानिक और व्यवहार विशेषज्ञ भी तनाव मुक्ति के लिए ध्यान के महत्व को खुले दिल से स्वीकार करते हैं। दुनिया भर में हुए कई अलग-अलग अनुसंधानों के नतीजे बताते हैं कि नियमित मेडिटेशन करने से एंजायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन से काफी हद तक मुक्ति मिलती है। यह जॉब रिलेटेड एंजायटी, बैड रिलेशनशिप से उत्पन्न स्ट्रेस और दुर्व्यवहार या अन्य कारणों से उत्पन्न अवसाद को भी कम करने में सक्षम है।

कई बीमारियों में दिलाए राहत
कई ऐसी बीमारियां हैं, जो हमारी दिमागी उथल-पुथल, तनाव और चिंता के कारण उग्र रूप धारण कर लेती हैं। ऐसे में ध्यान का अनुशासनपूर्वक नियमित अभ्यास इन बीमारियों से राहत दिलाता है। उच्च रक्तचाप, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, पाचन संबंधी विकार, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और फाइब्रॉमायल्जिया जैसी बीमारियों में भी मरीज को रेग्युलर मेडिटेशन से आराम मिलता है।

विकसित होती है सकारात्मकता
कुछ विशेष प्रकार के मेडिटेशन हमारी सेल्फ इमेज को इंप्रूव करने में मददगार होते हैं। इनका अभ्यास करने पर हमें जीवन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने में मदद मिलती है। अध्ययन में पता चला है कि मेडिटेशन का अभ्यास करने वाले लोगों में अपनी बॉडी इमेज के प्रति किसी प्रकार की हीन भावना नहीं रहती। ये जटिल परिस्थितियों में भी अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित रखने में सक्षम होते हैं।

बढ़ती है आत्म जागरूकता 
ध्यान के अभ्यास से स्वयं के प्रति, आस-पास के माहौल के प्रति और परिस्थितियों के प्रति समझ और जागरूकता बढ़ती है। सेल्फ इंक्वायरी मेडिटेशन में व्यक्ति आत्मसाक्षात्कार का ही अभ्यास करता है। इसमें व्यक्ति में यह समझ विकसित होती है कि आप अपने आस-पास के लोगों, चीजों और स्थितियों से खुद को कैसे रिलेट करते हैं? 2019 में 153 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन एप का दो हफ्ते तक प्रयोग करने के बाद लोगों में अकेलेपन की फीलिंग्स घटी और सोशल इंटरेक्शन की भावना में इजाफा हुआ।

प्रखर होती है स्मरण क्षमता
नियमित ध्यान करने वाले लोगों की याददाश्त दूसरे लोगों की तुलना में अच्छी होती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मन को शांत रखने पर एकाग्रचित होने में मदद मिलती है। नतीजतन ऐसे व्यक्तियों की मेमोरी स्ट्रॉन्ग होती है और ये बहुत जल्दी पढ़ी, सुनी या देखी हुई चीजों को याद कर लेते हैं। साथ ही इन्हें लंबे समय तक याद रख पाते हैं। इतना ही नहीं उम्र संबंधी मेमोरी लॉस और डिमेंशिया से लड़ने में भी ध्यान से मदद मिलती है।

बढ़ती है इच्छा शक्ति
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि आत्मनियंत्रण और इच्छाशक्ति बढ़ाने में मेडिटेशन की भूमिका बेहद प्रभावशाली होती है। मनोवैज्ञानिक केली मेकगोनिकल कहती हैं, प्रतिदिन कुछ मिनट के माइंडफुलनेस मेडिटेशन से ब्रेन के उन हिस्सों में ग्रे मैटर का निर्माण करके विल पावर बढ़ाया जा सकता है, जो इमोशंस को कंट्रोल करते हैं।

ये भी होते हैं फायदे

  • मेटा मेडिटेशन (लविंग काइंडनेस) के अभ्यास से हमारा दिमाग दयालुता संबंधी विचार उत्पन्न करता है। हम क्षमाशील और परोपकारी स्वभाव के बनते हैं।
  • नशा मुक्ति के मामले में मेडिटेशन के प्रयोग के आश्चर्यजनक सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं।
  • अनिद्रा के शिकार लोगों ने ध्यान का प्रयोग करके इस समस्या से मुक्ति पाई है। इसके पर्याप्त प्रमाण मिले हैं।
  • दर्द नियंत्रित करने के लिए दुनिया में कई सर्जन और पेन मैनेजमेंट एक्सपर्ट मेडिटेशन और संगीत का सफल प्रयोग कर चुके हैं। क्रॉनिक पेन के मामलों में भी इसका अद्भुत फायदा देखने को मिला है।
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