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हाइजीन और प्रोटेक्शन का ध्यान ना रखने पर किसी भी मौसम में ईयर इंफेक्शन हो सकता है। लेकिन सर्दियों में इसकी आशंका बढ़ जाती है। जानिए इसके होने के कारणों और बचाव के उपायों के बारे में।

Ear infection increases in winter: सर्दी के मौसम में होने वाली कई स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा, कान के संक्रमण यानी ईयर इंफेक्शन की आशंका भी बढ़ जाती है। इस वजह से मध्य और भीतरी कान में बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण सूजन आ जाती है। इन दिनों कई अस्पतालों में रोजाना कुछ मरीज कान में संक्रमण, खुजली और सूजन की समस्या लेकर आ रहे हैं। दरअसल, ठंड का मौसम बैक्टीरिया और वायरस को विकसित होने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
 
संक्रमण के कारण
कान में संक्रमण और सूजन का मुख्य कारण, ठंड में कमजोर प्रतिरक्षा को माना जा सकता है। कई बार कान में मौजूद नमी या बैक्टीरिया, कानों में होने वाले ओटिटिस मीडिया का कारण बनते हैं। यह संक्रमण गले में खराश या श्वसन संक्रमण के कारण भी हो सकता है, क्योंकि इस वजह से कान की यूस्टेशियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती है और असहनीय दर्द होता हैं। कुछ लोगों में साइनसाइटिस का इलाज ना किए जाने पर भी कानों में प्रॉब्लम पैदा हो सकती है। दरअसल, कान का संक्रमण, नाक और गले के संक्रमण से भी जुड़ा होता है। कुछ लोगों को सर्दी के मौसम के दौरान कानों में अत्यधिक सूखापन और एलर्जिक राइनाइटिस के कारण भी संक्रमण हो जाता है। इससे कान में फंगल इंफेक्शन हो सकता है, जिसे ओटोमाइकोसिस कहा जाता है। कई बार खांसी होने और सर्दी लगने पर एक्यूट ओटिटिस मीडिया (एओएम) जैसे कान संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो जाती है। अधिक ठंड भी कान में दर्द का कारण बन सकता है। दरअसल, ठंड का मौसम ईयर कैनाल्स के संवेदनशील ऊतकों में जलन पैदा करता है, इससे कान में दर्द हो सकता है। ठंड के महीनों में रक्त संचार कम होने से भी कान में संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है।

संक्रमण के लक्षण
संक्रमण की वजह से कान में दर्द होना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, सूजन, असामान्य स्राव और अस्थायी सुनने में कमी आना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। खुली जगह में ठंडी हवाओं के संपर्क में आने से भी कान का दर्द गंभीर हो सकता है और इसके लिए तत्काल ट्रीटमेंट करना जरूरी है।
 
उपचार के तरीके

कान में संक्रमण के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से कंसल्ट कर तुरंत उनके बताए ईयर ड्रॉप्स का उपयोग करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह लेकर एंटीबायोटिक्स, एंटीहिस्टेमाइन और दर्द निवारक दवाई का सेवन करें। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवाई ना लें और किसी ओवर-द-काउंटर ईयर ड्रॉप का उपयोग ना करें।

संक्रमण से बचाव
संक्रमण की वजह से कान के दर्द को कम करने के लिए आइस पैक या हीटिंग पैड या नम कपड़े का उपयोग करें। नहाते समय ध्यान रखें कि कानों में पानी ना जाए। घर से बाहर जाते समय कैप, हेडबैंड या स्कार्फ पहनकर कानों को गर्म रखें। हवा से बचाने के लिए कानों में रुई का प्रयोग ना करें। ऐसा करने से कान की नलिका में सूजन आ सकती है। अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहें, इससे कानों में कीटाणुओं के संक्रमण से बचाव होगा। फ्लू से बचाव के लिए वैक्सीन लगवा लें। धूम्रपान से दूर रहें, इससे श्वांस नली में जलन पैदा हो सकती है। कान में संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए ईयरमफ पहनने और सामान्य सर्दी, फ्लू और साइनसाइटिस से बचाव के लिए डॉक्टर से कंसल्ट कर बचाव के उपाय करें।

नोट:- इस लेख में दी गई सारी जानकारी डॉ. संजीव डांग ईएनटी सर्जन-अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल दिल्ली से बातचीत पर आधारित है। 
 

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