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Health Tips: अगर आप भी रोजाना काफी रात तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं तो अलर्ट हो जाएं। कई स्टडीज में यह नतीजे सामने आए हैं कि ऐसा करने से आपको कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

शिखर चंद जैन

Health Tips: सर्दी के मौसम में सुबह की नींद कुछ ज्यादा सुहानी लगने लगती है। सर्द हवाओं के डर से गद्दे और रजाई में मिल रही गर्माहट छोड़ने का मन ही नहीं करता। कई लोग इस मौसम में देर तक सोने लगते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विज्ञानियों की मानें तो सुबह देर तक सोते रहने से कई प्रकार की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही शोधकर्ताओं ने देर तक सोने के प्रभाव को जानने के लिए अध्ययन किए। इस अध्ययन में शामिल होने वालों की उम्र 38 वर्ष से 73 वर्ष के बीच थी।

कम होती है औसत उम्र
इंटरनेशनल क्रोनोबायोलॉजी में प्रकाशित इस शोध की रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग रोज सुबह जल्दी उठते हैं, उनकी औसत आयु रात को देर तक जागने वालों की तुलना में साढ़े छह साल ज्यादा होती है। हालांकि यह बहुत कुछ उस व्यक्ति की उम्र, लिंग, वजन, सोशियो-इकोनॉमिक पोजीशन, खान-पान की आदतों और लाइफस्टाइल पर भी निर्भर करता है। सुबह जल्दी उठने वाले लोगों में असमय मृत्यु का जोखिम सबसे कम होता है। जबकि देर रात सोने और सुबह देर से उठने वालों की जैवघड़ी जब अनियमित हो जाती है तो उनकी असमय मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा ऐसे लोगों में नर्व और आंतों की बीमारियां होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।

डिप्रेशन का जोखिम
जिन लोगों की देर तक जागने की आदत होती है, उनमें से 90 फीसदी को आगे चल कर मानसिक बीमारी होने की आशंका रहती है। जर्नल ऑफ साइकिएट्रिक रिसर्च के अध्ययन के अनुसार रात को देर तक जागने वाले लोगों में डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है। जो जितनी देर तक जागता है, उसमें यह जोखिम उतना ही बढ़ जाता है।

हार्ट डिजीज की आशंका
द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में पब्लिश अध्ययन में कहा गया है कि वीकेंड पर स्लीपिंग शेड्यूल बदलने वाले लोगों में हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। तुलनात्मक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सप्ताह के अन्य दिनों और सप्ताहांत में सोने के समय में जितना ज्यादा अंतर रहा, इन बीमारियों का खतरा भी उतना ही बढ़ गया।

जैव घड़ी हो जाती है गड़बड़
सुरे यूनिवर्सिटी के क्रोनोबायोलॉजी विभाग में प्रोफेसर मैलकम भन के मुताबिक देर रात तक जागने की आदत ने वर्तमान में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या का रूप ले लिया है। सूर्योदय से सूर्यास्त के साथ जैव घड़ी का तालमेल कायम रखने के लिए कौन से कदम उठाने चाहिए, इस पर काफी रिसर्च की जरूरत है। यूएस की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर क्रिस्टेन नूटसन कहते हैं, ‘असमय भोजन करना, नींद की कमी, एक्सरसाइज ना करना, रात को देर तक जागना, नशीले पदार्थों का सेवन आदि आदतों के पीछे कई बार लंबा मानसिक दबाव भी होता है। इन्हीं आदतों के कारण इंसान के सोने और जागने का सही रुटीन भी मेंटेन नहीं होता। हालांकि कई मामलों में जैव घड़ी का परिचालन जीन पर निर्भर करता है, लेकिन कई मामलों में आदतों में बदलाव लाकर इसे दुरुस्त किया जा सकता है।

ऐसे दुरुस्त रखें बॉडी क्लॉक
स्लीप एक्सपर्ट्स हमारी बॉडी क्लॉक को दुरुस्त रखने के लिए कुछ आसान टिप्स बताते हैं-

-सोने की जगह या बेडरूम ऐसा हो, जहां सूर्य की रोशनी आसानी से पहुंचे, लेकिन रात को अंधेरा रहे।

-रात को नियत समय पर अपने बेड पर चले जाएं। दस पांच मिनट की हेर-फेर अलग बात है, लेकिन ऐसा ना हो कि कभी 10, तो कभी 11, तो कभी रात 12 बजे सोने जाएं।

-दिन में करने वाले काम दिन में खत्म करें। दिन में करने वाले काम रात में करने की आदत ना डालें।

-सोते समय टीवी, अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और मोबाइल से दूर रहें।

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