Haldwani violence inquiry: उत्तराखंड हल्द्वानी में हुई हिंसा पर राज्य की पुष्कर धामी सरकार ने सख्त एक्शन लिया है। इस हिंसक घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। तेज तर्रार माने जाने वाले आईएएस अधिकारी दीपक रावत के नेतृत्व में यह जांच की जाएगी। दीपक रावत मौजूदा समय में कुमाऊं आयुक्त हैं। वह मामले की पड़ताल करने के बाद 15 दिनों के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। इस बीच शनिवार को हल्द्वानी के बाहरी इलाकों में कर्फ्यू में ढील दी गई।
हिंसा के मास्टरमाइंड की तलाश जारी
बता दें की आठ फरवरी को हल्दवानी के बनभूलपुर इलाके में सरकारी जमीन पर बने मदरसे को को हटाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस घटना में छह मौतें हुईं और 60 लोग घायल हो गए। नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीना ने कहा कि पुलिस अवैध मदरसे के निर्माण के पीछे मास्टरमाइंड माने जाने वाले अब्दुल मलिक तलाश में जुटी है। वह फिलहाल फरार है।
इंटरनेट सेवाएं फिलहाल बंद रहेगी
कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू रहेगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं। इस मामले में अब तक तीन मामले दर्ज किए गए हैं। हिंसा के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।पुलिस आगजनी, तोड़फोड़ और सरकारी अफसरों पर हमलों में शामिल अपराधियों की पहचान करने में जुटी है। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप खंगाले जा रहे हैं। अफसरों का मानना है कि हिंसा को योजना बनाकर अंजाम दिया गया।
हिंसा प्रभावित इलाकों में पेट्रोलिंग जारी
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए हैं। इस बीच नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने शनिवार को सिर्फ बनभूलपुरा में कर्फ्यू लागू करने का जादेश जारी किए। शहर के दूसरे इलाकों में कर्फ्यू में ढील दी गई। शहर के बाहरी इलाकों में दुकानें फिर से शुरू हो गईं।हालांकि, स्कूल बंद रहे। अधिकारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हिंसा प्रभावित इलाके में पेट्रोलिंग जारी है।
हिंसा के बारे में मिली थी खुफिया जानकारी
बता दें कि शनिवार को हल्द्वानी हिंसा को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई। सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक, खुफिया विभाग ने करीब एक हफ्ते पहले ही हल्द्वानी में हिंसा भड़कने की आशंका जाहिर की थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा प्रभावित मलिक का बगीचा पर मालिकाना हक का दावा पेश करने वाला अब्दुल मलिक और कुछ कट्टरपंथी संगठन विरोध कर सकते हैं।