Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के प्रयास केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर की है। SC ने बुधवार (26 मार्च) को इलाहाबाद HC के 'निजी अंग पकड़ना दुष्कर्म नहीं है' वाले फैसले पर रोक लगाई है। जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि टिप्पणी असंवेदनशीलता और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। कोर्ट ने केंद्र, US सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
Supreme Court stays the Allahabad High Court’s ruling, which stated that grabbing a minor girl’s breasts, breaking her pyjama and trying to drag her beneath a culvert would not come under the offence of rape or an attempt to rape.
— ANI (@ANI) March 26, 2025
A bench headed by Justice BR Gavai says it is a… pic.twitter.com/p0R3QTBvDC
जानिए क्या बोले SC के जज
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने बुधवार को केस पर सुनवाई की। बेंच ने कहा कि दुष्कर्म केस में दिए गए ऑर्डर में कुछ टिप्पणियां असंवेदनशील और अमानवीय नजरिया दिखाती हैं। फैसला सुनाने वाले जज ने बहुत असंवेदनशीलता दिखाई। हमें बहुत दुख है कि फैसला लिखने वाले में संवेदनशीलता की कमी थी।
सिलसिलेवार जानिए पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के कासगंज की एक महिला ने 12 जनवरी 2022 को कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि 10 नवंबर 2021 को 14 साल की बेटी के साथ पटियाली से घर लौट रही थी। रास्ते में गांव के रहने वाले पवन, आकाश और अशोक मिल गए। पवन ने बेटी को बाइक पर बैठाकर घर छोड़ने की बात कही।
लड़की के साथ की अश्लील हरकत
महिला ने बेटी को बाइक पर बैठा दिया। रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ लिया। आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए उसके पायजामे की डोरी तोड़ दी। लड़की की चीख-पुकार सुनकर ट्रैक्टर से गुजर रहे सतीश और भूरे मौके पर पहुंचे। इस पर आरोपियों ने देसी तमंचा दिखाकर दोनों को धमकाया और फरार हो गए।
जानिए जस्टिस राम मनोहर ने क्या कहा था....
महिला ने थाने में FIR कराई। 21 मार्च 2022 को कोर्ट ने शिकायत आवेदन पर मामले को आगे बढ़ाया। 17 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट मे सुनवाई हुई। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या 'अटेम्प्ट टु रेप' का मामला नहीं बनता।
SC ने लगाई रोक
कोर्ट ने 2 आरोपियों पर लगी धाराएं बदली और 3 आरोपियों के खिलाफ दायर क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली थी। कोर्ट की इस टिप्प्णी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। SC ने मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले पर खुद सुनवाई का फैसला किया था। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।