Anti cheating Bill passed in Lok Sabha: लोकसभा में मंगलवार को एंटी चीटिंग बिल पारित कर दिया गया। सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान नकल करने और पेपर लीक होने जैसी घटनाओं को रोकने के मकसद से लाया गया है। इस विधेयक में परीक्षा के पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
10 साल की जेल और 1 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान:
विधेयक में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करवाने की गतिविधियों में शामिल होने और अफसरों के साथ मिलकर पर्चा लीक करने या आंसर शीट में किसी प्रकार की गड़बड़ी करने पर 10 साल तक की जेल और 1 करोड़ तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। परीक्षा में शामिल हो रहे अभ्यर्थी की सीधे या परोक्ष रूप से मदद करने वालों को नकल करवाने का दोषी माना जाएगा।
नकल कराने वालों की बिना वारंट होगी गिरफ्तारी
इस बिल के तहत नकल करवाने की गतिविधियों में शामिल होने के अपराध को संज्ञेय माना जाएगा। इसके तहत गैर जमानतीय धाराएं लगाई जाएंगी। इसका मतलब यह है कि अगर कोई नकल करने या कराने में लिप्त पाया जाता है तो पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के लिए वारंट की जरूरत नहीं होगी। इस विधेयक के तहत फर्जी वेबसाइट बनाकर परीक्षा के नाम पर धन उगाही करने, फर्जी एडमिट कार्ड जारी या आफर लेटर जारी करने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
बिल की कुछ खास बातें:
- बिल के तहत कोई भी व्यक्ति या समूह पेपर लीक करने या आंसर शीट से छेड़छाड़ करते हुए पाया जाता है तो उसे कम से कम तीन साल की जेल होगी। ऐसे मामलों में जेल की अवधि पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- परीक्षा के लिए सर्विस उपलब्ध करवाने जैसे कि क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट छापने वाले सर्विस प्रोवाइडर अगर नकल करवाने से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी नहीं दे पाते हैं तो उन पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसी कंपनियों के मैनेजर को 10 साल तक की जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- जो लोग संगठित होकर पर्चा लीक करवाने के अपराध में दोषी पाए जाएंगे उन्हें 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए का जुर्माना भरना होगा। पर्चा लीक करवाने से जुड़े मामलों की जांच डीएसपी या एसीपी रैंक से कम के अधिकारी नहीं करेंगे।
राज्यसभा में पेश किया जाएगा विधेयक
लोकसभा में पारित होने के बाद इस विधेयक को अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इस विधेयक को कानूनी बनाने की मंजूरी के लिए राष्ट्र्रपति द्रौपदी मूर्म के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। विधेयक को लोकसभा में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पेश किया।