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Asaram Parole: आसाराम को मिली 7 दिन की पैरोल से शाहजहांपुर की दुष्कर्म पीड़िता के परिवार में खौफ बढ़ गया है। परिवार ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।

Asaram Parole:आसाराम को जोधपुर हाई कोर्ट से 7 दिन की पैरोल मिलने के बाद वह जेल से बाहर आ गया है। इसके बाद से ही शाहजहांपुर की दुष्कर्म पीड़िता के परिवार में खौफ है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि जब आसाराम जेल में था, तब भी उन्हें धमकियां मिलती थीं। अब उसके जेल से बाहर आने के बाद परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई है। 

परिवार ने बढ़ाई सुरक्षा की मांग
पीड़िता के पिता ने बताया कि जेल में रहते हुए भी आसाराम के समर्थकों से उन्हें लगातार धमकियां मिलती रहीं। दो गवाहों की हत्या भी हो चुकी है, जिससे परिवार में पहले से ही दहशत थी। अब आसाराम के जेल से बाहर आने के बाद परिवार की सुरक्षा को लेकर और ज्यादा चिंता हो गई है। पिता ने शाहजहांपुर एसपी से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। 

'पुलिसकर्मी नहीं निभाते ठीक से अपनी जिम्मेदारी'
पीड़िता के पिता का कहना है कि सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी ठीक से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते। पुलिसकर्मी सुबह 11 बजे आते हैं और शाम 6 बजे चले जाते हैं। इस दौरान भी वे अपनी ड्यूटी को गंभीरता से नहीं लेते। पिता ने इस बारे में शाहजहांपुर एसपी अशोक मीणा से बात की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या था पूरा मामला?
2013 में शाहजहांपुर की नाबालिग पीड़िता ने आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आसाराम 2 सितंबर 2013 से जेल में हैं। हाल ही में, जोधपुर हाई कोर्ट ने उसे इलाज के लिए 7 दिन की पैरोल दी है। 

गांधीनगर और जोधपुर कोर्ट ने भी ठहराया दोषी

  1. जोधपुर कोर्ट: जोधपुर पुलिस ने 2013 में आसाराम को उनके इंदौर स्थित आश्रम से गिरफ्तार किया था। पांच साल के लंबे ट्रायल के बाद, 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
  2. गांधीनगर कोर्ट: गुजरात के गांधीनगर स्थित आश्रम की एक महिला ने भी आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में 31 जनवरी 2023 को अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी थी। 

तिनाड़ी शूल बीमारी का हवाला देकर मांगी थी महिला डॉक्टर
जेल में जाने से पहले आसाराम की मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें वे स्वस्थ पाए गए थे। लेकिन जेल में जाने के एक महीने बाद ही उन्होंने तिनाड़ी शूल नामक बीमारी का हवाला देते हुए इलाज के लिए महिला डॉक्टर की मांग की थी। 4 सितंबर 2013 को उन्होंने अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन मेडिकल बोर्ड ने कोई ऐसी बीमारी नहीं पाई थी। 

पीड़िता के परिवार की सुरक्षा बढाई जाएगी
शाहजहांपुर एसपी अशोक कुमार मीणा ने बताया कि पीड़िता के परिवार की सुरक्षा के लिए पहले से ही पुलिसकर्मी तैनात हैं और उन्हें एक गनर भी दिया गया है। अगर जरूरत पड़ी तो सुरक्षा और बढ़ाई जाएगी। फिलहाल, परिवार सुरक्षा को लेकर डरा हुआ है और प्रशासन से सुरक्षा की मांग कर रहा है। ऐसे में शाहजहां पुलिस की ओर से पीड़िता और उसके परिवार को पूरी सुरक्षा देने का आश्वासन दिया गया है। 

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