Ayodhya Ram Lalla New Idol Photo Updates: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम अपने बाल स्वरूप में प्राण प्रतिष्ठित हुए। भव्य मंदिर के गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा की। मंदिर में जिस प्रतिमा को स्थापित किया गया है, वह बालक स्वरूप में कमल के आसन पर खड़ी मुद्रा में है। जिन्हें रामलला या बालक राम नाम दिया गया है। भव्य मंदिर के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तीन मूर्तियां बनवाई थी। तीन मूर्तियों में एक मूर्ति, जिसे मैसूर के रहने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज ने बनाई थी, उसे गर्भगृह में विराजमान किया गया है। दोनों अन्य प्रतिमाओं को मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि अन्य दो मूर्तियां कैसी हैं? नहीं तो आइए जानते हैं...
दो कृष्ण शिला तो एक संगमरमर की प्रतिमा
रामलला की तीनों प्रतिमाओं में दो कृष्ण शिला से तैयार की गई थीं, जबकि एक संगमरमर से तराशी गई। संगमरमर की मूर्ति को राजस्थान के मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय ने बनाया है। तीसरी प्रतिमा का निर्माण गणेश भट्ट ने किया है।
सत्य नारायण ने बनाई श्वेत वर्ण की प्रतिमा
सत्य नारायण पांडेय ने जिस प्रतिमा का निर्माण किया, वह श्वेत वर्ण की है। इसमें भगवान राम के चरणों में हनुमान जी विराजित हैं। एक आभामंडल है, जिसके चारों तरफ भगवान विष्णु के 10 अवतारों को दर्शाया गया है। जिसमें मत्स्य, कूर्म, वाराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और 10वां अवतार कल्कि की मूर्तियां उकेरी गई हैं। भगवान राम सातवें अवतार थे। संगमरमर के गहनों और कपड़ों से सुसज्जित रामलला के पास एक सुनहरा धनुष और तीर है।
मैसूर के पत्थर से बनी तीसरी प्रतिमा
तीसरी प्रतिमा कृष्ण शिला की है। इसका निर्माण मैसूर के हेगदादेवना कोटे इलाके में एक खेत में पाए गए काले पत्थर से किया गया है। यह पत्थर काले रंग का है। इसमें भी प्रतिमा के चारों तरफ एक आभामंडल और उस पर भगवान विष्णु के सभी 10 अवतारों को दिखाया गया है। सिर पर मुकुट, जिस पर भगवान सूर्य विराजमान हैं। कानों में कुंडल है। गले में हार और बाएं हाथ में धनुष है।
अरुण योगीराज ने ढाई अरब पुरानी चट्टान से बनाई प्रतिमा
अरुण योगीराज ने जिस प्रतिमा को बनाया, वह 51 इंच की है। इसका निर्माण काले ग्रेनाइट से किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में विराजमान है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स के डायरेक्टर एचएस वेंकटेश के अनुसार, प्रतिमा जिस पत्थर से बनाई गई, वह 2.5 अरब साल पुरानी चट्टान है। इस पर रोली, चंदन का कोई असर भी नहीं पड़ेगा।