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Jaya Bachchan and Sonia Gandhi: गांधी परिवार और बच्चन परिवार के बीच सब कुछ ठीक होता जा रहा है। बुधवार को संसद में सोनिया गांधी और जया बच्चन साथ नजर आईं। जानें गांधी और बच्चन परिवार के बीच की दोस्ती और उसमें आई दरार की कहानी।

Jaya Bachchan and Sonia Gandhi: राजनीति और फिल्मी दुनिया में एक हमेशा से एक खास रिश्ता रहा है। 1970- 1980 के दशक में बच्चन परिवार और उस समय देश की सत्ता में प्रभुत्व रखने वाले गांधी परिवार बेहद करीब थे।अब एक बार फिर से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि गांधी परिवार और बच्चन परिवार के बीच सब कुछ ठीक होता जा रहा है। बुधवार को संसद में सोनिया गांधी और जया बच्चन साथ नजर आईं। 

सोनिया और जय बच्चन में नजर आई अच्छी बॉन्डिंग
संसद में सोनिया गांधी और जया बच्चन के बीच बेहद अच्छी बॉन्डिंग नजर आई। दोनों एक दूसरे से बातचीत करतीं और हंसती मुस्कुराती नजर आई। दोनों नेताओं की मुलाकात का एक वीडियो भी सामने आया है। दरअसल, यह गांधी परिवार और बच्चन परिवार के बीच सबकुछ सामान्य होने का संकेत है। कभी यह दोनों परिवार बेहद करीब था। राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन के बीच बचपन की दोस्ती थी। लेकिन,वक्त का पहिया ऐसा घूमा की दोनों परिवार के बीच बातचीत तक बंद हो गई। 

गांधी और बच्चन परिवार की दो पीढ़ियों तक रही दोस्ती
राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की दोस्ती उस समय से शुरू हुई जब राजीव गांधी 2 साल के थे और अमिताभ बच्चन 4 साल के। यह दोस्ती पंडित जवाहरलाल नेहरू और हरिवंश राय बच्चन के समय से थी। हरिवंश राय बच्चन विदेश मंत्रालय में हिंदी अधिकारी थे और नेहरू उनके काम से प्रभावित थे। धीरे-धीरे, इंदिरा गांधी और तेज़ी बच्चन भी अच्छे मित्र बन गए और दोनों परिवार अक्सर मिलते-जुलते रहते थे।

राजनीति में अमिताभ बच्चन ने भी आजमाया किस्मत
1970 और 1980 के दशक तक दोनों परिवारों के बीच मित्रता बनी रही। अमिताभ की फिल्मों में बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, राजीव गांधी ने अमिताभ को राजनीति में आने की सलाह दी। 1984 में अमिताभ बच्चन ने कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से चुनाव लड़ा और जीते। लेकिन इसी दौरान बोफोर्स घोटाले ने देश में हलचल मचा दी। अमिताभ और उनके भाई अजिताभ भी इसके निशाने पर आ गए।

बोफोर्स घोटाले की वजह से दोनों परिवारों के बीच आई दूरी 
बोफोर्स घोटाले की वजह से दोनों परिवारों के बीच दरार आ गई। चुनाव जीतने के तीन साल बाद, अमिताभ ने राजनीति छोड़ दी। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद, गांधी परिवार को लगा कि बच्चन परिवार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। दूसरी ओर, बच्चन परिवार का कहना था कि राजीव गांधी ने उन्हें राजनीति में लाकर बीच में ही छोड़ दिया।

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