Badlapur Rape Case: बदलापुर के यौन शोषण केस में जहां मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे का एनकाउंटर हो चुका है, वहीं अब स्कूल प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी की गिरफ्तारी ने मामले को और गंभीर बना दिया है। पुलिस ने 24 साल के अक्षय शिंदे को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया था, जिस पर 3 और 4 साल की बच्चियों के यौन शोषण का आरोप था। 23 सितंबर को पुलिस एनकाउंटर में वह मारा गया। बॉम्बे हाईकोर्ट में आज एनकाउंटर पर सुनवाई होगी।
स्कूल प्रेसिडेंट की गिरफ्तारी से मचा हड़कंप
मामले में दो और अहम गिरफ्तारियां हुई हैं, स्कूल के प्रेसिडेंट उदय कोटवाल और सेक्रेटरी तुषार आप्टे को ठाणे क्राइम ब्रांच ने अपनी हिरासत में लिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर को दोनों की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया था। इसके बाद SIT को इस केस की जांच सौंपी गई। अब यह देखा जाएगा कि स्कूल प्रशासन की गिरफ्तारी से इस मामले में और कौन सी नई बातें सामने आएंगी।
अक्षय शिंदे पर बच्चियों के यौन शोषण का था आरोप
अक्षय शिंदे पर 12 और 13 अगस्त को स्कूल के गर्ल्स वॉशरूम में 3 और 4 साल की बच्चियों के यौन शोषण का आरोप लगा था। घटना के बाद बच्चियों के माता-पिता को शक हुआ और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। 17 अगस्त को पुलिस ने शिंदे को गिरफ्तार किया। बच्चियों ने आरोपी को 'दादा' कहकर बुलाया था, जिसने उनका भरोसा तोड़ते हुए उनके साथ गलत किया।
जानें, क्या है एनकाउंटर के पीछे की कहानी
अक्षय शिंदे की 23 सितंबर को पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 सितंबर की पिछली सुनवाई में इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने पूछा कि चार पुलिसकर्मी एक आरोपी को कैसे संभाल नहीं सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पुलिस ने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई, तो आरोपी के पैरों पर क्यों नहीं चलाई गई, सिर पर क्यों?
लोगों ने बदलापुर स्टेशन पर किया था प्रदर्शन
20 अगस्त को इस घटना से आक्रोशित लोगों ने बदलापुर रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया। गुस्साई भीड़ ने स्कूल में तोड़फोड़ की और लोकल ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। इस बीच, राज्य सरकार ने SIT का गठन किया और मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने का वादा किया। इसके अलावा, पुलिस की लापरवाही पर तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और स्कूल के कुछ स्टाफ को भी सस्पेंड किया गया।
सीएम शिंदे ने एकनकाउंटर को सही ठहराया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एनकाउंटर को सही ठहराते हुए इसे सेल्फ डिफेंस में लिया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि अगर आरोपी भाग जाता तो सरकार की आलोचना होती। इसके बाद, 1 अक्टूबर को राज्य सरकार ने इस एनकाउंटर की जांच के लिए एकल सदस्यीय आयोग गठित किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप भोसले इस आयोग की अगुवाई करेंगे।