Bihar Reservation: पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने गुरुवार 20 जून को आरक्षण कानून को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 65% आरक्षण को समाप्त करने का आदेश सुना दिया।  बिहार सरकार द्वारा 9 नवंबर 2023 को आरक्षण कानून पारित किया गया था। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार ने आरक्षण की सीमा को 50% से बढ़ाकर 65% करने के राज्य सरकार फैसले को असंवैधानिक बताया।

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सुनाया फैसला
बिहार सरकार के मौजूदा आरक्षण कानून के तहत पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण  65% आरक्षण का प्रावधान था। गौरव कुमार और अन्य  लोगों की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने 11 मार्च 2024 को  इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतिम आदेश सुना दिया।

सरकार का तर्क और हाईकोर्ट का जवाब
बिहार सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही ने अदालत में दलील दी कि यह आरक्षण कानून पिछड़ा वर्ग के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण दिया गया था। उन्होंने बताया कि यह आरक्षण अनुपातिक आधार पर नहीं दिया गया था। अधिवक्ता दीनू कुमार ने तर्क दिया कि सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण को रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया गया जिक्र
अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहनी मामले में आरक्षण की सीमा पर 50% का प्रतिबंध लगाया था। उन्होंने यह भी कहा कि जातिगत सर्वेक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस याचिका में  राज्य सरकार के आरक्षण सीमा को 50% से बढ़ाकर 65% करने के फैसले को चुनौती दी गई है। पटना हाईकोर्ट का यह फैसला नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।