Bilkis Bano case live updates: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिल्किस बानो केस में अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि बिल्किस बानो की याचिका सुनवाई योग्य है। सजा अपराध को रोकने के लिए दी जाती है। गुजरात सरकार दोषियों को छूट देने का आदेश पारित करने में सक्षम नहीं थी। वह सरकार दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सुनवाई महाराष्ट्र में हुई। सजा भी महाराष्ट्र में हुई। ऐसे में गुजरात सरकार छूट देने के लिए उपयुक्त सरकार नहीं है।
2022 में रिहा हुए थे 11 दोषी
बिल्किस बानो ने 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बलात्कार और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दोषियों को गुजरात सरकार ने 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर रिहा कर दिया था। बिल्किस बानो ने आरोप लगाया था कि उन्हें रिहाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। विपक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरा था।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बिल्किस बानो की याचिता समेत अन्य याचिकाओं पर 11 दिन की सुनवाई के बाद पिछले साल 12 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही केंद्र और गुजरात सरकार को 16 अक्टूबर तक 11 दोषियों की सजा माफी से संबंधित मूल रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश भी दिया था।
Supreme Court holds that the petition filed by Bilkis Bano challenging the remission of 11 convicts is maintainable. pic.twitter.com/JdidDuTvy4
— ANI (@ANI) January 8, 2024
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बिल्किस बानो केस की 8 बड़ी बातें
- पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या दोषियों के पास माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? रिहाई का अधिकार चयनात्मक रूप से नहीं किया जाना चाहिए। हर एक कैदी को समाज में सुधार और पुन: एकीकृत होने का अवसर दिया जाना चाहिए।
- दोषियों को जब रिहा किया गया तो उनका किसी हीरो की तरह स्वागत किया गया। उनमें से कुछ को भाजपा सांसद और विधायक के साथ मंचों पर देखा गया। दोषियों में से एक, राधेश्याम शाह ने वकालत भी शुरू कर दी थी, जिसे सुनवाई के दौरान अदालत के ध्यान में लाया गया।
- सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा 1992 की छूट नीति के आधार पर रिहाई मिली। उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए 15 साल जेल में बिताने के बाद 15 अगस्त, 2022 को दोषियों को रिहा कर दिया गया।
- दोषियों में बकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद नाई, जसवन्त नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चंदना और शैलेश भट्ट शामिल हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। ऐसी स्थिति में उन्हें 14 साल की सजा के बाद कैसे रिहा किया जा सकता है? अन्य कैदियों को भी इस तरह की राहत क्यों नहीं मिलती है?
- गुजरात सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि चूंकि लोगों को 2008 में दोषी ठहराया गया था, इसलिए उन पर 1992 की नीति के तहत विचार किया जाना चाहिए।
- बिल्किस बानो 21 साल की थीं, जब गोधरा ट्रेन कांड के सांप्रदायिक दंगे भड़के। पांच महीने की गर्भवती बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उनकी तीन साल की बेटी दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में एक थी।
- दोषियों की रिहाई के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं में तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा और अन्य शामिल हैं।
2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाई थी सजा
जनवरी 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया। 9 साल बाद सभी को गोधरा सब जेल में ट्रांसफर कर दिया गया।