Sheena Bora Case Docuseries: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाई-प्रोफाइल शीना बोरा मामले पर बनी डॉक्यूसीरीज 'द इंद्राणी मुखर्जी स्टोरी: द बरीड ट्रुथ' के रिलीज पर रोक लगा दी है। गुरुवार को अदालत ने नेटफ्लिक्स को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने से पहले जांच के लिए एक विशेष स्क्रीनिंग आयोजित करने को कहा। नेटफ्लिक्स ने कोर्ट को बताया कि वह इस मामले की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी पर बनी डॉक्यूमेंट्री सीरीज 29 फरवरी तक रिलीज नहीं करेगा।
23 फरवरी को होने वाली थी रिलीज
'द इंद्राणी मुखर्जी स्टोरी: बरीड ट्रुथ' डॉक्यूमेंट्री 23 फरवरी को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रिलीज पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि डॉक्यूमेंट्री मामले की जांच, उसके नतीजे और लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकती है।
अब 29 फरवरी को होगी सुनवाई
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने निर्माताओं को सीबीआई अधिकारियों के लिए एक विशेष स्क्रीनिंग की व्यवस्था करने का निर्देश दिया और मामले को अगले गुरुवार यानी 29 फरवरी के लिए पोस्ट कर दिया। डॉक्यूमेंट्री में मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी अपनी कहानी पेश करेंगी। यह शीना बोरा के लापता होने और उसके चौंकाने वाले परिणाम पर आधारित है।
क्या है शीना बोरा केस?
24 अप्रैल 2012 को मुंबई में 24 वर्षीय महिला शीना बोरा की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी। वह एक मीडिया कार्यकारी इंद्राणी मुखर्जी और सिद्धार्थ दास की बेटी थीं। हालाँकि उनका पालन-पोषण उनके नाना-नानी ने किया था। इंद्राणी उनकी बहन थीं।
यह मामला 2015 में तब सामने आया जब इंद्राणी के पूर्व ड्राइवर श्यामवर राय ने पुलिस के सामने शीना बोरा की हत्या में शामिल होने की बात कबूल की। राय के कबूलनामे के कारण इंद्राणी मुखर्जी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना और उनके तत्कालीन पति पीटर मुखर्जी की गिरफ्तारी हुई। हत्या के पीछे का मकसद कथित तौर पर वित्तीय और व्यक्तिगत था। जिसमें संपत्ति और रिश्तों पर विवाद शामिल था।
सुप्रीम कोर्ट में इंद्राणी को दी थी जमानत
मई 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने इंद्राणी मुखर्जी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह छह साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं और मुकदमा जल्द खत्म नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि मामले के अन्य आरोपी, पीटर मुखर्जी फरवरी 2020 से पहले ही जमानत पर थे। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने नवंबर 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका में यह आदेश दिया था।