Mahaparinirvan Diwas: संसद भवन के लॉन में शुक्रवार(6 दिसंबर) को महापरिनिर्वाण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।अंबेडकर को नमन करते हुए सभी नेताओं ने उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। इस दौरान पीएम मोदी और खड़गे ने गर्मजोशी से एक-दूसरे का अभिवादन किया। महापरिनिर्वाण दिवस पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की ओर से संविधान तैयार करने में दिए गए योगदानों को याद किया गया।
संसद भवन में हुआ श्रद्धांजलि समारोह
संसद भवन के लॉन में आयोजित 69वें महापरिनिर्वाण दिवस कार्यक्रम में कई प्रमुख नेता शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस अवसर पर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी और खड़गे के बीच सौहार्दपूर्ण मुलाकात ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मुस्कुराते हुए बातचीत की।
प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराई प्रतिबद्धता
पीएम मोदी ने आंबेडकर को नमन करते हुए कहा कि देश उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "महापरिनिर्वाण दिवस पर, हम अपने संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रतीक डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को नमन करते हैं।" उन्होंने डॉ. आंबेडकर के संघर्ष और उनके आदर्शों को याद करते हुए कहा कि उनका संघर्ष पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। पीएम मोदी ने अपने मुंबई दौरे की तस्वीर साझा करते हुए 'जय भीम' का संदेश भी दिया।
खड़गे ने संविधान की रक्षा पर दिया जोर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने डॉ. आंबेडकर के योगदान को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आंबेडकर के आदर्शों और उनके द्वारा रचित संविधान की रक्षा करना आज समय की जरूरत है। उन्होंने कहा, "बाबासाहेब ने अपना जीवन समानता, स्वतंत्रता, और न्याय के आदर्शों के लिए समर्पित कर दिया। उनकी शिक्षाएं हमें हर मुश्किल घड़ी में रास्ता दिखाती हैं।" खड़गे ने आंबेडकर के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया।
महापरिनिर्वाण दिवस का क्या है महत्व
हर साल 6 दिसंबर को बाबासाहेब आंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। 1956 में इस दिन डॉ. आंबेडकर का निधन हुआ था। यह दिन न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का, बल्कि उनके आदर्शों और संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी दोहराने का दिन भी है। इस अवसर पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।