By-elections 2024: देश में बुधवार (20 नवंबर) को 5 राज्यों की 14 विधानसभा और दो लोकसभा सीट पर उपचुनाव की वोटिंग होगी। चुनाव इसलिए खास हैं क्योंकि 13 सीटें सांसद बने विधायकों, 1 सीट विधायक के जेल जाने और 1 विधायक के निधन से खाली हुई। उपचुनाव भाजपा, कांग्रेस, सपा और AAP के लिए अपनी साख बनाए रखने के लिहाज से बेहद अहम है। किन सीटों पर होगा उपचुनाव। किन पार्टियों के बीच है कड़ा मुकाबला। जानिए A टू Z जानकारी। 

इन राज्यों में हो रहा चुनाव
उत्तर प्रदेश में 9 सीटों, पंजाब में 4, उत्तराखंड और केरल में 1-1 सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें से 2 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश में सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है, जबकि पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

किस राज्य में किसके पास पहले थी सीट

राज्य  सीट     पहले किसके पास थी
उत्तर प्रदेश (9 सीटें) करहल (मैनपुरी) सपा
  सीसामऊ (कानपुर) सपा
  कटेहरी (अंबेडकरनगर) सपा
  कुंदरकी (मुरादाबाद) सपा
  मीरापुर (मुजफ्फरनगर) RLD
  गाजियाबाद (गाजियाबाद) भाजपा
   फूलपुर (प्रयागराज )   भाजपा
   खैर (अलीगढ़) भाजपा
   मझवां (मिर्जापुर) निषाद पार्टी
पंजाब (4 सीटें) गिद्दड़बाहा (मुक्तसर) कांग्रेस
  डेरा बाबा नानक  (गुरदासपुर) कांग्रेस
  चब्बेवाल (होशियारपुर)  कांग्रेस
  बरनाला (बरनाला)     AAP
केरल (1 सीट) पलक्कड़ (लोकसभा सीट ) कांग्रेस
उत्तराखंड (1 सीट) केदारनाथ   भाजपा
महाराष्ट्र (1 सीट) नांदेड़ (लोकसभा सीट) कांग्रेस

नांदेड़ लोकसभा सीट: चव्हाण परिवार की साख पर सवाल
महाराष्ट्र की नांदेड़ सीट कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। यह सीट वसंतराव चव्हाण के निधन के बाद खाली हुई। कांग्रेस ने उनके बेटे रवींद्र चव्हाण को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को टिकट दिया है। दिलचस्प बात यह है कि संतुक के भाई कांग्रेस के विधायक हैं। यह चुनाव अशोक चव्हाण परिवार की राजनीतिक साख पर भी भारी असर डाल सकता है।

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यूपी में जातिगत समीकरण के बीच सपा-भाजपा की भिड़ंत
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के दौरान सबसे ज्यादा 9 सीटों पर मतदान होने जा रहे हैं। इनमें से 4 सीटें भाजपा, 4 सीटें सपा और 1 सीट निषाद पार्टी और RLD के पास थी। इन सीटों पर जीत का असर 2027 के विधानसभा चुनावों में चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। इस चुनावी प्रक्रिया में भाजपा ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी उतारे हैं।भाजपा ने 5 ओबीसी, 2 ब्राह्मण, 1 दलित और 1 क्षत्रिय को टिकट दिया है। सपा ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूला अपनाया है। करहल और कुंदरकी सीटों पर दोनों दलों ने पूरा जोर लगा दिया है।

UP उपचुनाव: भाजपा ने 4 मंत्रियों को मैदान में उतारा है
यूपी उपचुनाव में भाजपा और सपा ने अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार की हैं। भाजपा ने सपा के कब्जे वाली चार सीटों पर जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। भाजपा ने अपने 4 मंत्रियों को मैदान में उतारते हुए बूथ अध्यक्षों और पन्ना प्रमुखों की टीम बनाई है। साथ ही, सपा ने भी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को साधने के लिए उम्मीदवारों का चयन किया है। दोनों पार्टियां 2027 के चुनाव के लिए समीकरण तैयार करने में लगी हुई हैं।

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मैनपुरी की करहल सीट पर कड़ा  मुकाबला
मैनपुरी जिले की करहल सीट हमेशा से मुलायम सिंह परिवार के गढ़ के रूप में मानी जाती रही है। सपा के प्रमुख नेता अखिलेश यादव ने इस सीट के लिए अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने अखिलेश यादव के परिवारवाद का मुकाबला करने के लिए रिश्ते में उनके बहनोई अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है। इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच मुकाबला काफी रोमांचक होने की संभावना है, क्योंकि भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। खासकर करहल सीट पर यह चुनाव दोनों पार्टियों के लिए राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है।

पंजाब: दलबदलू और वंशवाद की राजनीति
पंजाब के चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। पंजाब में सभी पार्टियों ने दलबदलुओं और राजनीतिक परिवारों पर भरोसा जताया है। भाजपा के सभी चार प्रत्याशी दलबदलू हैं। ऐसे में यह उपचुनाव वंशवाद और दलबदलुओं के मुद्दे पर केन्द्रित हो गया है। कांग्रेस, AAP और भाजपा ने कई दलबदलू नेताओं को मैदान में उतारा है। इन सीटों पर मुकाबला खासकर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही देखा जा रहा है। भाजपा ने कांग्रेस से आए मनप्रीत बादल और अकाली दल के पूर्व नेता सोहन सिंह ठंडल को टिकट दिया है। गिद्दड़बाहा में कांग्रेस और AAP के बीच करीबी मुकाबला है।

केरल: निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़ाई रोमांचक लड़ाई
केरल में उपचुनाव दो विधानसभा सीटों पर हो रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा के बीच पलक्कड़ विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक होने जा रहा है। कांग्रेस ने राहुल बीआर को प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने अपने राज्य महासचिव सी कृष्णकुमार को मैदान में उतारा है। साथ ही, निर्दलीय प्रत्याशी पी सरीन ने भी उपचुनाव को रोमांचक बना दिया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंकी है, और इस सीट पर जीतने के लिए हर पार्टी पूरी रणनीति के साथ चुनावी प्रचार कर रही है। संघ के स्वयंसेवक यहां भाजपा को जिताने में जुटे हैं।

उत्तराखंड: भाजपा और कांग्रेस ने लगाए पुराने चेहरों पर दांव
उत्तराखंड में उपचुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपने पूर्व विधायकों पर भरोसा जताया है। भाजपा ने दो बार की पूर्व विधायक आशा नौटियाल को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इसी सीट से विधायक बने मनोज रावत को उम्मीदवार बनाया है। इन चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगाई है, खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी प्रचार में जुटे हुए हैं। यह उपचुनाव उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक अहम संकेत हो सकता है।

इन चुनावों के नतीजे क्यों महत्वपूर्ण?
यह उपचुनाव 2024 के लोकसभा और 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करेंगे। खासकर नांदेड़ लोकसभा और यूपी की विधानसभा सीटों पर परिणाम भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए भविष्य का संकेत हो सकते हैं।