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Census 2021: जाति आधारित जनगणना की मांग करते हुए विपक्ष दशकीय जनगणना कार्यक्रम में देरी को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की आलोचना कर रहा है।

Census 2021: केंद्र सरकार 2025 में जनगणना शुरू करने की योजना बना रही है, जो चार साल की देरी के बाद होगी और 2026 तक चलेगी। इसके बाद लोकसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, जो 2028 तक पूरी होने की संभावना है। इस बीच, केंद्र ने हाल ही में भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त, मृंतजय कुमार नारायण का कार्यकाल 2026 तक बढ़ा दिया है ताकि वे इस जनगणना प्रक्रिया का निरीक्षण कर सकें।

अमित शाह ने कहा था- जनगणना "उचित समय" होगी
जनगणना कार्यक्रम में देरी को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है और जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहा है। जनगणना को पहले अप्रैल 2020 में शुरू किया जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। तब से अब तक जनगणना की कोई नई तिथि घोषित नहीं हुई है। अगस्त में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जनगणना को "उचित समय" पर कराया जाएगा और प्रक्रिया का निर्णय होने पर इसकी घोषणा की जाएगी। 

जाति आधारित जनगणना की मांग 
इसी साल जून के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता में आने पर जाति आधारित जनगणना कराने का वादा किया था। राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने जाति जनगणना की मांग उठाई है, यह आरोप लगाते हुए कि केंद्र सरकार समाज के वंचित वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है।

1881 से भारत में हर 10 साल में हो रही जनगणना  
सितंबर में, पीटीआई ने बताया कि केंद्र सरकार ने दशक की जनगणना की तैयारियां शुरू कर दी हैं, हालांकि इसमें जाति को एक कैटेगरी के तौर पर शामिल करने पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। भारत में हर 10 साल में होने वाली जनगणना का उद्देश्य जनसंख्या का व्यापक सामाजिक-आर्थिक और जनसांख्यिकी आंकड़ा जुटाना होता है, जो 1881 से नियमित रूप से जारी है।

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