दक्षिण के तीन राज्यों के नेता गुरुवार को दिल्ली पहुंचेंगे। कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के नेता केंद्रीय फंड पर केेंद्र सरकार के सामने फंड आवंटन का मुद्दा उठाएंगे। तीनों दक्षिणी राज्यों ने केंद्र सरकार पर फंड के आवंटन में भेदभाव करने का आरोप लगाया है। इस मुद्दे को सबसे पहले कर्नाटक सरकार ने उठाया था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारामैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे।
कर्नाटक ने सबसे पहले उठाया मुद्दा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार सहित राज्य के कई नेता नई दिल्ली के जंतर मंतर पर जुटे हैं। इन नेताओं का दावा है कि केंद्र सरकार दक्षिण राज्यों को मिलने वाला फंड रोक रही है। साथ ही टैक्स रेवेन्यू में राज्य की हिस्सेदारी को जानबूझकर कम कर दिया गया है।
केंद्र से अपना अधिकार मांग रहे: शिवकुमार
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक वस्तु एवं सेवा कर (GST) कलेक्शन में दूसरे स्थान पर है। देश के रेवेन्यू में बड़ा योगदान देता है। हम केंद्र सरकार से सपना अधिकार और अपना हिस्सा मांग रहे हैं। कर्नाटक सरकार ने केंद्र से सूखा राहत कोष मांगा था। हालांकि, इसे एक रुपया भी नहीं दिया गया।
कर्नाटक ने की नुकसान भरपाई की मांग
कर्नाटक ने केंद्र सरकार से 1.87 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई करने की मांग की है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के सिद्धरामैया के अनुसार केंद्र सरकार के कारण राज्यों, खासकर कर्नाटक को मिलने वाले राजस्व हिस्सेदारी में नुकसान हुआ है। 15वें वित्त आयोग ने टैक्स राजस्व ट्रांसफर कैलकुलेट करने का फॉर्मूला बदल दिया, इसकी वजह से राज्यों को कम फंड मिल रहा है।
तमिलनाडु और केरल के नेता भी करेंगे प्रदर्शन
कर्नाटक की तरह ही तमिलनाडु की सत्तारूढ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) और इसकी सहयोगी पार्टियों के सांसद ने भी फंड आवंटन के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। तमिलनाडु के नेता संसद भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देंगे। इसके साथ ही केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन और केरल की लेफ्ट पार्टियों के नेता जंतर-मंतर पर जुटेंगे और केंद्र की ओर से आवंटित होने वाले फंड के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।