'झारखंड टाइगर' BJP में शामिल: CM हिमंत सरमा का दावा- झारखंड पुलिस ने की चंपई सोरेन की 6 महीने निगरानी

Jharkhand Politics: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर चंपई सोरेन की जासूसी कराने का गंभीर आरोप लगाया है। जेएमएम के दिग्गज नेता चंपई सोरेन शुक्रवार (30 अगस्त) को रांची में आयोजित एक समारोह के दौरान बीजेपी में शामिल हो गए। इससे झारखंड में आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए बीजेपी के प्रयासों को बल मिला है। राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
झारखंड पुलिस ने 6 महीने तक चंपई पर नजर रखी: सरमा
- मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, "मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री हूं, और हमारे देश का कोई भी मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों की जासूसी नहीं करता, लेकिन हेमंत सोरेन ने ऐसा किया। दिल्ली पुलिस ने चंपई सोरेन की जासूसी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन हेमंत सोरेन ने कहा कि वे सुरक्षा देने के लिए भेजे गए थे। अगर ऐसा था, तो उनके पास हथियार क्यों नहीं थे?"
- हिमंत सरमा ने आगे कहा, "चंपई सोरेन पर झारखंड पुलिस ने 6 महीने तक निगरानी रखी। मैंने कभी किसी मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा कुछ होते नहीं सुना। मैं हेमंत सोरेन को चेतावनी देता हूं कि हम दो महीने बाद इसका करारा जवाब देंगे।" बता दें कि सरमा अभी झारखंड में भाजपा के सह-प्रभारी हैं।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीएम बने थे चंपई
हेमंत सोरेन के 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के दौरान इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन ने चार महीने तक झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। 67 वर्षीय चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी माने जाते हैं। जून में हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद चंपई को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था।
जेएमएम अपने सिद्धांतों से भटक गई है: चंपई सोरेन
भाजपा में जाने के अपने फैसले को लेकर चंपई सोरेन ने X पोस्ट में लिखा- "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं जेएमएम छोड़ दूंगा, जो मेरे लिए परिवार की तरह है... लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने मुझे बहुत दुख के साथ यह फैसला लेने के लिए मजबूर किया। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि पार्टी अपने सिद्धांतों से भटक गई है।" बीजेपी में शामिल होने को सही ठहराते हुए चंपई ने आरोप लगाया कि झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में "बांग्लादेश से हो रही लगातार घुसपैठ" के कारण आदिवासी पहचान और अस्तित्व खतरे में है।
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