Chandigarh Mayor Election: चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर शुरु हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आम आदमी पार्टी के बाद अब बीते दिन बुधवार को कांग्रेस के सीनियर डिप्टी मेयर के उम्मीदवार गुरप्रीत सिंह और डिप्टी मेयर निर्मला देवी की तरफ से भी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कांग्रेस के प्रत्याशी की ओर से मेयर चुनाव में हुई धांधली का हवाला देते हुए भाजपा के सीनियर डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह संधू और डिप्टी मेयर राजेंद्र शर्मा को चुनौती दी गई है।
याचिका में पूछा गया ये सवाल
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कांग्रेस उम्मीदवार की याचिका पर उनके वकील करणबीर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछली रिट याचिकाओं को जारी रखते हुए फिर एक रिट याचिका दायर की गई है। इसमें मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को भी चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि याचिका में यह भी पूछा गया है कि 8 वोट क्यों अमान्य किए गए, इसका कारण हमें बताया जाए। हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर 9 फरवरी को सुनवाई होनी है। गौरतलब है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव का यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है। चीफ जस्टिस डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने पीठासीन अधिकारी का वीडियो देखकर नाराजगी जताई थी।
19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मेयर पद के गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप कुमार की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। लेकिन यहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। अब इस मामले को लेकर 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी 26 फरवरी को इस मामले की सुनवाई लंबित है।
NSUI के कार्यकर्ताओं ने किया विरोध प्रदर्शन
वहीं, इससे पहले बीते दिन चंडीगढ़ में कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। हालात, बिगड़ता देख पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए NSUI के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी किया था और वाटर कैनन से पानी की बौछार भी की थी। इस दौरान पुलिस ने NSUI के कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया था। इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की थी।
ये है पूरा मामला
बता दें कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव 18 जनवरी 2023 को होना था। लेकिन चुनाव वाले दिन पीठासीन अधिकारी को बीमार बताकर चुनाव टाल दिया गया था। इसके बाद चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर ने चुनाव की अगली तारीख़ छह फरवरी तय की थी। लेकिन आम आदमी पार्टी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गई। मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 जनवरी को चुनाव करवाने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद 30 जनवरी को चुनाव तो हुआ लेकिन आप और कांग्रेस ने इसमें पीठासीन अधिकारी पर धांधली का आरोप लगाए।
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं
दरअसल, हुआ यूं की चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं। बीजेपी के पास 14 पार्षद हैं। सदन में अकाली दल का सिर्फ एक पार्षद है। इसके अलावा इस चुनाव में चंडीगढ़ के सांसद के भी वोट करने का अधिकार है। यहां से बीजेपी की सांसद किरण खेर हैं। इन सबको मिलाकर बीजेपी के पास कुल 16 वोट हैं। जबकि आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षद हैं। यहां पर कांग्रेस और आप का गठबंधन है। यानी गठबंधन के पास कुल 20 वोट हैं। इसके बाद भी चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी मनोज सोनकर की जीत हुई। बीजेपी के प्रत्याशी मनोज को 16 वोट मिले। जबकि कांग्रेस-आप के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 12 वोट मिले। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि चुनाव में आठ वोटों को अमान्य करार दिया गया। इसके बाद पीठासीन अधिकारी पर धांधली का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और आप कोर्ट पहुंची गई और तभी से ये मामला तूल पकड़ा हुआ है।