Chief justice DY Chandrachud: दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की आजादी पर टिप्पणी की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायापालिका की आजादी का अर्थ केवल सरकार के खिलाफ फैसले देना नहीं है, बल्कि न्याय के सही संतुलन को बनाए रखना है। सीजेआई 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसके साथ ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने समाज से अपील की कि न्यायपालिका के फैसलों में यकीन रखें।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सही अर्थ
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि हमेशा सरकार के खिलाफ ही फैसला दिया जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब उन्होंने चुनावी बॉन्ड स्कीम (Electoral Bonds Scheme) को असंवैधानिक करार दिया था, तो उन्हें 'बहुत स्वतंत्र' कहा गया था। लेकिन अगर कोई फैसला सरकार के पक्ष में जाता है, तो इसे आजादी की कमी नहीं समझना चाहिए। ज्यूडिशियरी की असल आजादी का मतलब है कि जस्टिस कानून और संविधान के मुताबिक फैसला लें।
न्यायपालिका पर होती है दबाव बनाने की कोशिश
मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि आज के समाज में सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि कई बार लोग यह मानते हैं कि अगर कोई फैसला उनके पक्ष में नहीं है, तो न्यायाधीश स्वतंत्र नहीं हैं। लेकिन एक न्यायाधीश की असल आजादी तभी है जब न्यायाधीश अपने विवेक और कानून के हिसाब से फैसला लें, चाहे परिणाम किसी भी पक्ष के पक्ष में क्यों न हो।
जज कानून के मुताबिक सुनाए फैसला
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जहां कानून का तकाजा होता है, वहां सरकार के खिलाफ फैसला लेना जरूरी है। लेकिन अगर कानून कहता है कि फैसला सरकार के पक्ष में होना चाहिए, तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का हिस्सा है कि वह कानून का पालन करे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संतुलन न्यायपालिका की स्थिरता और निष्पक्षता के लिए बेहद जरूरी है।