Next CJI: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज, जस्टिस संजीव खन्ना को केंद्र सरकार के पास अगले सीजेआई के रूप में नामित किया है। जस्टिस खन्ना वरिष्ठता के आधार पर इस पद के लिए अगली पंक्ति में हैं और 10 नवंबर को CJI चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद संभालेंगे। जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में सेवा देंगे, उनका कार्यकाल करीब 6 महीने का होगा।

रिटायरमेंट से महीनेभर पहले सीजेआई भेजते हैं उत्तराधिकारी का नाम
सूत्रों के अनुसार, CJI चंद्रचूड़ ने बुधवार सुबह न्यायमूर्ति खन्ना को पत्र सौंपा, जिसमें उन्हें उनके उत्तराधिकारी के रूप में अनुशंसित किया गया है। केंद्र सरकार ने 12 अक्टूबर को सीजेआई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा था। परंपरा के मुताबिक, कानून मंत्रालय सीजेआई के रिटायर होने से एक महीने पहले उनसे उत्तराधिकारी का नाम पूछता है। फिर सीजेआई उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज के नाम की अनुशंसा करते हैं। अब जस्टिस खन्ना की अनुशंसा के बाद केंद्र सरकार जल्द ही उन्हें 11 नवंबर से प्रभावी अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में नियुक्त करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी।

न्यायमूर्ति खन्ना का प्रतिष्ठित करियर
जस्टिस संजीव खन्ना का कानूनी करियर बहुत ही समृद्ध और अनुभवों से भरा रहा है। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में नामांकन किया और तीस हजारी कोर्ट से अपने करियर की शुरुआत की। बाद में उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून और वाणिज्यिक कानून जैसे क्षेत्रों में व्यापक अनुभव प्राप्त किया। 2005 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 2006 में स्थायी न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति खन्ना को जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

जस्टिस संजीव खन्ना के प्रमुख फैसले

  •  न्यायमूर्ति खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए। उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दी, जिससे चुनावी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हुई। उन्होंने मनीष सिसोदिया के मामले में भी अहम फैसला दिया, जिसमें मामलों में देरी को जमानत का एक आधार माना गया।
  • न्यायमूर्ति खन्ना ने 100% VVPAT सत्यापन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम चुनावों की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि गुमनाम दान जनता के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
  • उनका फैसला, जिसमें उन्होंने "अपूर्ण विवाह विफलता" के आधार पर तलाक देने के अधिकार को मान्यता दी, ने न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
  • जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष और वर्तमान में NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी सेवा कर रहे हैं। उनका करियर विविध और न्यायिक सेवा के प्रति उनके समर्पण का उदाहरण है।