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Fiewin Gaming App Fraud: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में चीनी नागरिकों से जुड़े एक ऑनलाइन गेमिंग ऐप 'Fiewin' से जुड़े ₹ 400 करोड़ की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। जानें क्या है पूरा मामला।

Fiewin Gaming App Fraud: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में चीनी नागरिकों से जुड़े एक ऑनलाइन गेमिंग ऐप 'Fiewin' से जुड़े ₹ 400 करोड़ की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। इस मामले में ED ने लगभग ₹ 25 करोड़ की राशि को फ्रीज कर दिया है। इसके साथ ही कोलकाता में चार भारतीयों को भी गिरफ्तार किया गया है, जो इस धोखाधड़ी में शामिल थे। जांच में दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, Binance का सहयोग मिला।

Fiewin ऐप कैसे काम करता था?  
Fiewin ऐप ने अपने यूजर्स को आसान पैसे कमाने का वादा करके फंसाया। ऐप में मिनी-गेम्स खेलने के लिए यूजर्स को अकाउंट का विकल्प मिलता था। विभिन्न भुगतान विधियों से इन-ऐप बैलेंस को 'टॉप अप' करने की सुविधा भी दी गई थी। हालांकि, जब उपयोगकर्ताओं के खातों में बड़ी राशि जमा हो जाती थी, तो ऐप पैसे निकालने से रोक देता था, जिससे वे अपना पैसा वापस नहीं ले पाते थे। (Online gaming app) ने इस तरह लाखों लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बनाया।

ED की जांच में हुआ बड़ा खुलासा  
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में पाया गया कि Fiewin ऐप ने लगभग ₹ 400 करोड़ की धोखाधड़ी की है। इस धनराशि को विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी पतों पर ट्रांसफर किया गया। बाद में यह पता चला कि यह पूरा नेटवर्क चीनी नागरिकों द्वारा संचालित किया जा रहा था। इस धोखाधड़ी से संबंधित शिकायतें बढ़ने पर स्थानीय पुलिस ने मामला ED को सौंपा, जो आर्थिक अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में विशेषज्ञता रखती है।

'रिचार्ज पर्सन्स' के माध्यम से हुई धोखाधड़ी  
जांच में यह भी पता चला कि गेम्स से जुटाई गई राशि को कुछ लोगों के खातों में जमा किया गया, जिन्हें 'रिचार्ज पर्सन्स' कहा जाता था। ये लोग ऐप मालिकों से कमीशन लेकर अपने बैंक खातों का उपयोग करते थे। इसके बाद यह राशि क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित कर दी जाती थी और चीनी नागरिकों के (Crypto wallets) में ट्रांसफर कर दी जाती थी। 

आरोपियों का हुआ खुलासा  
ED की जांच में ओडिशा के राउरकेला से अरुण साहू और आलोक साहू को 'रिचार्ज पर्सन्स' के रूप में पकड़ा गया। इनके खातों में जमा हुई राशि को क्रिप्टोकरेंसी में बदला जाता था। इसके अलावा, पटना के इंजीनियर चेतन प्रकाश ने इस पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही, चेन्नई के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जोसेफ स्टालिन भी इस मामले में गिरफ्तार हुए हैं। स्टालिन ने चीनी नागरिक Pie Pengyun को अपने कंपनी में सह-निदेशक बनने में मदद की थी।

'Telegram' ऐप का भी किया गया इस्तेमाल
जांच में अब तक पाया गया है कि Fiewin ऐप के माध्यम से लगभग ₹ 400 करोड़ की राशि क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर चीनी नागरिकों के 8 Binance वॉलेट्स में जमा की गई है। यह धोखाधड़ी 'Telegram' ऐप के माध्यम से चीनी और भारतीय आरोपियों के बीच संपर्क के जरिए की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय और Binance की संयुक्त जांच अभी भी जारी है, और इस धोखाधड़ी के पूरे नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश की जा रही है।

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