Mohan Bhagwat Speech: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने लोकसभा चुनाव को लेकर पहली बार खुलकर अपना पक्ष रखा। सोमवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए संघ प्रमुख ने कहा कि संघ हर पांच साल में आने वाले जनादेश के कारणों और परिणामों की परवाह नहीं करता है। अब चुनाव खत्म हो गए हैं, नई सरकार बन गई। अब सभी को राष्ट्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने नई NDA सरकार और विपक्ष (इंडिया ब्लॉक) को सलाह देते हुए कहा कि चुनाव और शासन दोनों के दृष्टिकोण में बदलाव होना चाहिए।

चुनाव एक सहमति बनाने की प्रक्रिया है: RSS प्रमुख 

  • RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा कि जो अधिकारी मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है, उसमें गर्व करता है, किन्तु उसमें डूबता नहीं है, घमंड नहीं करता, वही असली सेवक कहलाता है। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव में मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान एक दूसरे उम्मीदवारों को पीछे छोड़ना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह चुनावी-मुकाबला झूठ/नफरत पर आधारित नहीं होना चाहिए।

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- चुनाव एक सहमति बनाने की प्रक्रिया है। संसद के दो पक्ष होते हैं ताकि किसी भी प्रश्न के दोनों पहलुओं पर विचार किया जा सके। हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं। अगर एक पक्ष को एक पार्टी द्वारा संबोधित किया जाता है, तो विपक्षी पार्टी को दूसरे आयाम को संबोधित करना चाहिए, ताकि हम सही नतीजे तक पहुंच सकें।
  • उन्होंने कहा कि विपक्ष का होना कितना अहम है। इस चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की है। उसने 2019 के 52 से अपनी संख्या बढ़ाकर 99 कर ली। जनादेश ने भाजपा की संख्या को 240 तक कम कर दिया, जो बहुमत के 272 के अंक से काफी नीचे है और विपक्ष को लोकसभा में 234 सीटें हासिल हो गईं।

संघ चुनावों के नतीजों की परवाह नहीं करता: भागवत
मोहन भागवत ने कहा- आरएसएस हर 5 साल में आने वाले जनादेश के कारणों और परिणामों की परवाह नहीं करता है। संघ हर चुनाव में जनमत को परिष्कृत करने के लिए काम करता है, इस बार भी किया, लेकिन नतीजों के विश्लेषण में उलझता नहीं, लोग क्यों चुने जाते हैं? संसद में जाने के लिए, विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए। हमारी परंपरा सहमति बनाने की है। यह एक प्रतियोगिता है, युद्ध नहीं।

'चुनावी कैंपेन में टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल'
इसके अलावा संघ प्रमुख ने चुनावी दौर की नकारात्मकता पर भी खुलकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा- "जो चीजें हुईं, जिस तरह से दोनों पक्षों ने चुनावी सभाओं में जाकर एक-दूसरे पर हमला किया, चुनावी रणनीतियों के प्रभाव की सरेआम अनदेखी की, जो विभाजन, सामाजिक और मानसिक दोष रेखाओं को बढ़ा सकती थीं। चुनावी कैंपेन में टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर झूठ फैलाया।

मणिपुर हिंसा पर रखी बात
आरएसएस चीफ ने मणिपुर में शांति को तेजी से बहाल करने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि हिंसा को शीर्ष प्राथमिक के तौर पर रोकाना चाहिए। मणिपुर एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है। हिंसा को रोकना होगा और इसे सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए। हमने कई क्षेत्रों में बहुत प्रगति की है। जैसे- अर्थव्यवस्था, रक्षा रणनीति, खेल, संस्कृति, टेक्नोलॉजी आदि। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हमने सभी चुनौतियों को पार कर लिया है।